Ravi dosha in Hindi रवि दोष
दोंनो भौहों का बीच को कूटस्थ व आज्ञा पाजिटिव चक्र
कहते है! कहते है!
क्रियायोग साधना सारे दुःख का निवारण करेगा!
सीधा वज्रासन, पद्मासन अथवा सुखासन मे योनिमुद्र व सहजमुद्रा लगाके
बैठिए!
सहस्रारचक्र में
तनाव डाले, और मन और दृष्टि इसी का उप्पर लगाके बैठे!
दोनों हथेलीं (palm) एक दूसरे का साथ जैसा दिखाया ऐसा दबाके रखना है!
दोनों अंगुष्ठों का नाखूनवाला भाग मिलाके नाभी का नीचे दबाके रखना है!
यह मुद्रा रक्त शुद्धि करेगा, और ह्रदय और ligaments (स्नायुवों) को बलोपेता करेगा! ये भी एक ध्यानमुद्रा है!
हम अभी 108 बार ‘राम’ का उच्चारण करेंगे! इस से रविदोष निवारण होगा! 41 दिन प्रातः और शाम दोनों समय में करना चाहिए!
इस से
total
nervous systems बलोपेत होगा! semen
count में बढ़ावा व
वीर्यवृद्धि, और Brain
hemorrhage
avoid करने में लाभ होगा!
विद्या वृद्धि, आध्यात्मिकता में
वृद्धि, और आर्थिक परिस्थिति वृद्धि,होगा!
Chanting पूरा होने
का पश्चात सहज मुद्रा में लंबा ध्यान करना चाहिए!
ध्यान का अर्थ:
लंबा श्वास लेना,
अपना शक्ति का अनुसार कूटस्थ में रखना/रुखना, light दिखाई देने पर light में, और
शब्द सुनाई देने पर शब्द में ममैक होना! दोनों में प्रयत्न नहीं करना!
वैसा ही लंबा
निश्वास करना, अपना शक्ति का अनुसार कूटस्थ में रखना/ रुखना, light दिखाई देने पर
light में, और शब्द सुनाई देने पर शब्द में ममैक होना! दोनों में प्रयत्न नहीं
करना!
समाधि लगने पर अनुभव
करना!
ध्यान कमसे कम एक वर्ष का एक मिनट करना, यानी 40 साल का साधक 40 मिनट ध्यान
करना चाहिए!
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