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Edited Kriyayogasadhana-Teesara ankh in Hindi concluding 2nd part.

अहंकार/आत्मा/परमात्म : परमात्मा नित्य नित्य नूतन , नित्ययौवन , नित्य चेतना स्वरूपी और नित्य आनंद स्वरूपी है! सर्वव्यापी सर्व शक्तिमान और सर्वज्ञ है परमात्मा! आत्मा परमात्मा का अंतर्भाग ही है! इसी कारण आत्मा नित्य नित्य नूतन , नित्ययौवन , नित्य चेतना स्वरूपी , नित्य आनंद स्वरूपी और सर्वव्यापी सर्व शक्तिमान सर्वज्ञ है! समुद्र समिष्टि और समुद्र का पानी का बूंदें व्यष्टि है! परमात्मा समिष्टि और आत्म व्यष्टि है! इन्द्रियों को प्रकाशित करने के लिए परमात्मा शक्ति (Cosmic energy) परमात्मा से व्यष्टि व व्यक्ति का अन्दर प्रवेश करेगा! परमात्म चेतना मानव चेतना में बदलेगा! मानव चेतनायुक्त इन्द्रियों हम को इस मिथ्या प्रपंच को दिखाएगा परंतु परमात्मा को नहीं दिखा सकता है! मानव चेतना को व्यक्ति से परमात्मा का दिशा में बदलने से परमात्मा को प्राप्त करेगा! अहंकार और आत्मा प्राथमिक रूप ( Fundamentally) में एक ही है परंतु व्यवहार शैली में अलग अलग है! विद्वान् मनुष्य और मूर्ख मनुष्य दोनों प्राथमिक रूप में एक ही है परंतु व्यवहार शैली में अलग अलग है! दुर्जन भी मनुष्य है और सज्जन भी मनुष्य