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ध्यान पद्धति

ध्यान पद्धति मुद्राये बंधों यह मुद्राए व्यक्ति मे प्रवाहित प्राणशक्ति को भौतिक नसो (nerves) द्वारा अवयवों मे ले जाती है और तंदुरुस्ती प्रदान करती है।   यह शरीर को भौतिक , मानसिक और आध्यात्मिक समतुल्यता मे रखती है। एक टन (one ton)   सिद्धांतों की तुलना मे एक औंस (one ounce practice) अभ्यास उत्तम है। इसीलिए सभी की तंदुरुस्ती के लिये अभ्यास योग्य है यह मुद्राए। 1) खेचरी मुद्रा : कूटस्थ मे दृस्टि स्थिर कर के आँखें खोल के या बंद कर के तालु मे जीभ को रख के प्राणायाम क्रिय करना । 2) भूचरी मुद्रा : अर्ध मीलित नेत्रों से दृस्टि को नाक के उपर रखना । 3) मध्यम मुद्रा : कूटस्थ मे दृस्टि स्थिर कर के आँखो और कानों को बंद कर के प्राण शक्ति को अंतः कुंभक करना । 4) शांभवि मुद्रा : पद्मासन या सुखासन मे बैठ कर कुंभक करना और ध्यान करना । सीधा वज्रासन , पद्मासन अथवा सुखासन मे ज्ञानमुद्रा लगाके बैठिए ! अनामिका अंगुलि के आग्रभाग को अंगुष्ठ के आग्रभाग से लगाए और