Nirvanashatkam in Hindi
Nirvanashatkam in Hindi
निर्वाण षट्कम
शिवोहम् शिवोहम्
शिवोहम् शिवोहम् शिवोहम् शिवोहम्
मनो बुध्यहंकार
चित्तानि नाहं न च श्रोत्रं न जिह्वा न च घ्राण नेत्रं
न च व्योम भूमि
र्न तेजो न वायुः चिदानंद रूपं शिवोहम् शिवोहम्
मन बुद्धि
चिट्टा और अहंकार मै नहीं हु! नेत्रं कान नाक त्वचा और जिह्वा मै नहीं
हु! पृथ्वी
जल अग्नि वायु और आकाश मै नहीं हु! मै सत् चिदानंद रूप शिव् हुँ शिव् हुँ !
अहम् प्राण सम्ग्नो न वै पंच वायुः न वा सप्त धातुर् न वा पंच
कोशाः
न वाक्पाणि पादौ न चोपस्थ पायू चिदानंद रूपं शिवोहम् शिवोहम्
मै मुख्य प्राण नहीं हु! पंचप्राणों व वायु
यानी प्राण अपान व्यान समान और उदान वायु मै नहीं हु! मै 1) आहार, 2) रक्त, 3)
मांस, 4)नाडिया, 5) हड्डियाँ, 6) मज्ज(Bone marrow), और 7) शुक्लं, नहीं हु! मै पाणी पादम् पायु उपस्थ और
शिशिनम् व पंच
कर्मेन्द्रियों नहीं हु! अन्नमय प्राणमय मनोमय विज्ञानमय और
आनंदमय पंच कोशों मै
नहीं हु! स्थूल सूक्ष्म और कारण तीन शरीरों मै नहीं हु! मै
सत् चिदानंद रूप शिव्
हुँ शिव् हुँ !
न में द्वेष रागौ न में लोभ मोहो मदोनैव में
नैव मात्सर्य भावः
न धर्मो न चार्थो न कामों न मोक्षः चिदानंद
रूपं शिवोहम् शिवोहम् !
मुझे द्वेष, राग,
लोभ, मद, और मात्सर्य नहीं है! मुझे धर्म अर्थ काम मोक्ष नहीं है!
मै सत् चिदानंद रूप शिव् हुँ शिव् हुँ !
न पुण्यं न पापं न सौख्यं न दुःखं न मंत्रो न तीर्थं न वेदा न
यज्ञः
अहम् भोजनं नैव भोज्यं न भोक्ता चिदानंद रूपं शिवोहम् शिवोहम्
!
मुझे पुण्य पाप नहीं है! मुझे सुख दुक्ख
नहीं है ! मुझे मंत्र नहीं है ! मेरे लिए पुण्यक्षेत्र नहीं है ! मुझे शास्त्र नहीं
है ! मुझे यज्ञ नहीं है ! मै मंत्र पुण्यक्षेत्र और शास्त्र इन सब का अतीत हु !मै
बोज्य नहीं है ! मै भोक्ता नहीं है ! मै भोजनं नहीं है ! मै इन सब का अतीत हु ! मै सत् चिदानंद रूप शिव् हुँ शिव् हुँ !
अहम् निर्विकल्पो निराकार रूपों विभूत्वाच्च सर्वत्र
सर्वेंद्रियाणाम्
न वा बन्धनं नैव मुक्ति न बन्धः चिदानंद रूपं शिवोहम् शिवोहम्
मुझ को विचारों नहीं है! मुझ को रूप नहीं
है! मै विचाररहित हु, मै रूपरहित हु! ज्ञानेंद्रियो को शक्ति मेरे वजह से ही
उपलब्ध होती है! मुझे बन्धं नहीं है, मुझे मुक्ती नहीं है ! मै इन सब का अतीत हु ! मै सत् चिदानंद रूप शिव् हुँ शिव् हुँ !
न मृत्युर् न शंका न में जाति भेदः
पितानैवा में नैव माता न जन्म
न बन्धुर् न मित्रं गुरुर् नैव शिष्यः चिदानंद रूपं शिवोहम् शिवोहम्
मुझे जनन्म नहीं है! मुझे मरणम् नहीं है! मुझे
कुल मत भेद भाव नहीं है! मुझे माता नहीं है! मुझे पिता नहीं है! मुझे गुरु नहीं
है! मुझे शिष्य नहीं है! मै सत्
चिदानंद रूप शिव् हुँ शिव् हुँ !
शिवोहम् शिवोहम् शिवोहम् शिवोहम् शिवोहम् शिवोहम्
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