kaalasarpadosha in Hindi कालसर्पदोष
कालसर्पदोष
सीदा वज्रासन, पद्मासन, व सुखासन,में बैठिये!
पूरब अथवा उत्तर दिशा सामने कीजिए! सहस्रार में तनाव लगाईये, मन और दृष्टि लगाईये!
सहजमुद्र लगाईये!
कालसर्प दोष व योग:
क्रिया योग ध्यान से सर्व दोषों को निवारण करेगा!
काल और सर्प यानी मिलके कालसर्प है!
काल सर्प जैसा काटेगा!
महान लोग पाराशर और वराहमिहिर इन का बारे में कुछ भी नहीं बोला है!
राहू शिर है, और केतु पूंछ है!
राहू और केतु clockwise direction में मेष, मिथुन, सिंह, तुला, धनुष, कुंभ, मीन, मकर, वृश्चिक, कन्या, कर्काटक, और वृषभ राशियों
में स्थित होना है! राहू, और केतु, का बीच में रवि, बुध, शुक्र, चंद्र, कुज, गुरु, और शनि ग्रहों उपस्थित होना है! इस को कालसर्प दोष व योग कहते है! इस जातक को अवकाशों, और विघ्नों समान प्रतिपत्ती में सामने आयेगा! प्रयाणसमय में
कष्टों अधिक सामने आयेगा!
राहू पहले घर में उपस्थित होने से 27 वर्षो तक, दूसरा घर में उपस्थित
होने से 33 वर्षो तक, तीसरा घर में उपस्थित
होने से 36 वर्षो तक, कालसर्प दोष व
योग का प्रभाव होगा!
विपरीत कालसर्प दोष व योग:
राहू और केतु anti-clockwise
direction में वृषभ, कर्काटक, कन्या, वृश्चिक, मकर, मीन, कुंभ, धनुष, तुला, सिंह, मिथुन, और मेष, राशियों में
स्थित होना है! राहू, और केतु, का बीच में रवि, बुध, शुक्र, चंद्र, कुज, गुरु, और शनि ग्रहों उपस्थित होना है! इस को विपरीत कालसर्प दोष व योग कहते है! इस जातक को अवकाशों, और विघ्नों समान प्रतिपत्ती में सामने आयेगा! प्रयाणसमय में
कष्टों अधिक सामने आयेगा!
सहस्रार में मन और दृष्टि लगाके 108 बार राम उच्चारण करना
है!
सहस्रार में मन और दृष्टि लगाके 108 बार ॐ उच्चारण करना है!
यथैथांसि समिद्धोग्नि भस्मसात्कुरुतेर्जुन
ज्ञानग्नि सर्वकर्माणि भस्मसात्कुरुते तथा 4--37
अर्जुन,अधिक प्रज्वल हुआ
अग्नि काष्टॉ को जैसा भस्म करता है, वैसा ही ज्ञान नाम
के अग्नि समस्त कर्मो को भस्म करता है!
आप का सामने ज्ञानाग्निगुंड है समझ के बोलो तीनबार और अग्नि
को आप का कर्म आहुति करो!
ॐ स्वाहा ॐ
स्वाहा ॐ स्वाहा
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