गोवर्धनपर्वत:

गोवर्धनपर्वत:---
गोलोक का अर्थ इंद्रिय लोक है! इंद्रियों का राजा इंद्र व मन! चंचल मन वर्ष यानी विचारों को बरसेगा! इंद्रिय विषयों व विचारों को गो कहते है! गोपाल का अर्थ उन इंद्रिय विषयों का पालन करनेवाला! इंद्रिय विषयों का नियंत्रण व मनोनिश्चलता अत्यंत आवश्यक है! अथवा वे विचारों पर्वत जैसा बढ़ते रहेगा! इन का ऊँचाई का परिमिति नहीं होगा! नियंत्रणरहित मन व चंचल मन यानी इंद्र का विचारधारा बरसते रहेगा!

श्रीकृष्ण को कूटस्थ कहते है! आज्ञाचक्र व कूटस्थ में तीव्रध्यान करनेवाला क्रियायोग साधक कूटस्थ यानी श्रीकृष्णस्थिति पाने से आलोचनारहिता स्थिति व क्रियापरावस्था लभ्य करेगा! वैसा स्थिति साध्य किया साधक बारिस जैसा विचारों को नियंत्रण करना कनिष्ठ अंगुली से गोवर्धन पर्वत को उठाने जैसा आसान होगा! इसी को श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपना कनिष्ठ अंगुली  से उठाके गो व इन्द्रियों और गोपाल यानी इन्द्रियों का विषयों का पालन करनेवालों को इंद्र यानी चंचलमन से रक्षा किया कहते है! 

Comments

Popular posts from this blog

Mantrapushpam with Telugu meaning మంత్రపుష్పం

49 Maruts mentioned by Sri Sri Yogiraj LahiriMahasya Maharaj

Shree vidya upaasana