पतंजलि द्वितीय पादम साधना पादम 2.1 to 2.55
2. साधना पादम 2.1. तपःस्वाध्यायेश्वर प्रणिधानानि क्रियायोगः तपः= तपस, स्वाध्याय= स्वाध्याय( तपः= तपस, (स्व अध्याय=अपने आप को पढ़ना), ईश्वरप्रणिधानानि= ईश्वरप्रणिधान (ईक्षणों को श्वर व बाण जैसा उपयोग करना) क्रियायोगः= क्रियायोग तपस स्वाध्याय (स्व अध्याय=अपने आप को पढ़ना), और ईश्वरप्रणिधान यानि ईक्षणों को श्वर व बाण जैसा उपयोग करने को क्रियायोग कहते है! 2.2. समाधि भावनार्थः कलेश तनू करणार्थश्च समाधि भावनार्थः= समाधि सिद्धि, कलेश तनू करणार्थश्च =अविद्यादी कलेशों इस क्रियायोग समाधि सिद्धि लभ्य करेगा! अविद्यादी कलेशों को नाश करेगा! 2. 3 . अविद्यास्मिता रागद्वेषाभि निवेशाः पंचक्लेशाः अविद्या= अविद्या, अस्मिता= अस्मित व मै और मेरा तत्व, राग= मोह, द्वेषा= द्वेष और अभिनिवेशाः= अभिनिवेशः= जीवन का उप्पर लगाव, पंचक्लेशाः= पंचक्लेशाः= पंचक्लेशॉ अविद्या, अस्मित व मै और मेरा तत्व, राग, द्वेष, और अभिनिवेशःयानि जीवन का उप्पर लगाव, इन को पंचक्लेश कहते है! 2.4. अविद्या क्षेत्र मुत्तारेषाम् प्रसुप्त तनु विच्छिन्नो दाराणाम् प्रसुप्त = अस्मिता को प्रसुप्त (छिपा हुआ), त