मुद्राए और बंधों 2
जलधारानाशक मुद्र:
नाक से पानी अना (Running nose), अतिसार (diarrhea), मोटापन (Obesity) निवारण!
कनिष्ट से अंगुष्ट का
मूल का दबा के रखना,
शेष अंगुलियों सीदा रखना!
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मकरमुद्र:
गुर्दा (kidney), Jigar(लीवर) पीड़ित लोगों के लिए अच्छा है!
एक हथेली (palm) का अनामिका और कनिष्ट का बीच में दूसरा हाथ का हथेली (palm) का अंगुष्ट को रखना है! अब पहला हथेली (palm) का अंगुष्ट को दूसार हाथ का अनामिका साथ दबाके रखना है!
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शक्तिमुद्र:
नाभी का नीचे का नसों को बलोपेत करेगा! स्त्रीओं का ऋतुबाधायें(mesuration problems) को सुधारेगा!
दोनों हाथो का हथेली (palm) का कनिष्ट और अनामिका मिलाना है! नाखुनवाला अंगुष्ट मध्यम और तर्जनियों को मिलाके दबाके सीदा रखना है!
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पृष्ठ मुद्र
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कमर दर्द के लिए अच्छा मुद्रा है!
बाए हाथ अंगुष्ट का मध्यभाग में नाखूनवाला तर्जनी
का साथ दबाके रखना है! शेष अंगुलियाँ सीदा रखना है! दाए हाथ अंगुष्ट मध्यमा और नाखूनवाला कनिष्ट भागो को दबाके
रखना है! शेष अंगुलियाँ सीदा रखना है!
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चिन्मुद्र
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ज्ञानमुद्र को उलटा
करके रखने से चिन्मुद्र होजायेगा! यह ध्यानमुद्रा है!
रक्तदाब(blood
pressure)निवारण, सकारात्मक विचारे लाने में सहायता करना, स्मृति शक्ति में बढ़ाव(improves memory power), पैरों में
पानी(edema) बीमारी को सुधारेगा, फेफड़ों में श्वास भरके रक्त को शुद्ध करना!
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चिन्मय मुद्र
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फेफड़ों में श्वास
भरके रक्त को शुद्धी करना! हृदय के लिए अच्छा है! यह ध्यानमुद्र है!
तर्जनी नाखूनवाला
भाग और अंगुष्ट नाखूनवाला भाग दोनों मिलाके दबाके रखना का चाहिए! शेष अंगुलियाँ
हथेली (palm) को दबाके रखना चाहिए! दोनों हथेलीं (palm) को दोनों पैर का घुटनों का उप्पर रखना चाहिए
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ब्रह्म मुद्र
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फेफड़ों में श्वास
भरके रक्त को शुद्धी करना! हृदय के लिए अच्छा है! यह ध्यानमुद्र है!
अंगुष्ट को मोडके
शेष अंगुलियाँ का साथ मिलाके मुट्टी बनाना है! ऐसा दोनों हाथ नाभी का नीचे रख के
दबाके रखना चाहिए!
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भैरव मुद्र
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मन को निश्चल करेगा! नाड़ियों को बलोपेट करता है! यह ध्यानमुद्र है!
बाए हथेलीं (palm) को दाए हथेलीं (palm) का उप्पर रखना है!
दाए हथेलीं (palm) का उप्पर बाए हथेलीं (palm) रखने से भैरवी मुद्र होगा!
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बुद्धि
मुद्र
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यह ध्यानमुद्र है!
बाए हथेलीं (palm) का उप्पर दाए हथेलीं (palm) रखना है!
दोनों अंगुष्ठों
मिलाके उप्पर की ओररखना है!
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ध्यानमुद्र
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बाए हथेलीं (palm) का उप्पर दाए हथेलीं (palm) रखना है!
दोनों अंगुष्ठों
मिलाके नाभी का नीचे दबाके रखना है!
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योनिमुद्र
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यह ध्यानमुद्र है!
दोनों हथेलीं (palm) एक दूसरे का साथ जैसा दिखाया ऐसा दबाके रखना है!
दोनों अंगुष्ठों का
नाखूनवाला भाग मिलाके नाभी का नीचे दबाके रखना है!
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कुंडलिनी मुद्र है!
यह ध्यानमुद्र है!
दोनों हाथों को
मुट्ठीभर के रखना है! एक दूसरे का नीचे नाभी का नीचे रखना है!
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गरुड मुद्र
श्वास रोगों और पक्षवात का निवारण करता है!
दोनों हथेलीं (palm) खोल के रखना है! दोनों अंगुष्ठों एक दूसरे का साथ पकड के रखना है!
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गोमुख मुद्र यह ध्यानमुद्र है!
पागलपन, हिस्टीरिया (hysteria), आलसीपन, क्रोध, डिप्रेशन (dippression) इत्यदि रोगों में शांति, और प्राणशक्ति में बढ़ाव!
दोनों हथेलीं (palm) एक का उप्पर एक रखना है! दोनों अंगुष्ठों एक दूसरे का साथ पकड के रखना
है!
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कैलास मुद्र
यह ध्यानमुद्र है!
नमस्कार स्थिति में
दोनों हाथो को शिर का उप्पर रखना है!
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खेचरी मुद्र
यह ध्यानमुद्र है!
यह क्रियायोग साधक
के लिए अति मुख्य मुद्र है!
साधना में निद्रा
भूक और प्यास नहीं लगेगा!
जीब को मोड़ के पीछे
ताळु में रखना है!
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कुंभमुद्र यह ध्यानमुद्र है!
दोनों हथेलीं (palm) का अंगुलियाँ एक दूसरे में बाँध के रखना है! दोनों अंगुष्ठों खडा कर
रखना है!
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नागमुद्र यह ध्यानमुद्र है!
दोनों हथेलीं (palm) एक का उप्पर एक रखना है! दोनों अंगुष्ठों कैची (scissors) जैसा रखना है!
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वायन/ वातकारक मुद्र
पेचिश(dysentery),
sunstroke, मोटापन(obesity) के लिए अच्छा मुद्र है!
तर्जनी मध्यम और
अंगुष्ठ तीनों का नाखूनवाला भाग दबाके रखना है, शेष अंगुलियाँ खडा करके रखना है!
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पूषुणी
मुद्र
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ए सर्वरोग निवारिणी
मुद्र है!
अपान मुद्र वायन
मुद्र और प्राणमुद्र तीनों मिलाके पूषुणी
मुद्र कहते है!
ये तीनों
मुद्राये दस दस मिनट के लिए एक का बाद एक डालने से बहुत फायदा है!
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शांभवी मुद्र, यह ध्यानमुद्र है!
कूटस्थ में मन और
दृष्टि लगा के ध्यान करना है!
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मांडूक मुद्र
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यह ध्यानमुद्र है!
पागलपन, हिस्टीरिया (hysteria), आलसीपन, क्रोध, डिप्रेशन (dippression) इत्यदि रोगों में शांति, और प्राणशक्ति में बढ़ाव!
दोनों हथेलीं (palm)का अंगुलियाँ एक का उप्पर एक रखना है! दोनों अंगुष्ठों एक दूसरे का उप्पर
रखना है!
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