Naabhi kriya Hindi






नाभिक्रिय:
नाभिक्रिय दो भाग है! यह क्रियायोग में एक भाग है! इस का हेतु मूलाधारचक्र से कूटस्थ तक उपस्थित चक्रो में स्पंदन लभ्य होगा! इतना ही नहीं, currents शीघ्रगती से सहस्रार पहुंचेगा, और साधक का समाधि मिलजाएगा!
सीदा बैठिये, पूरब को सामना कीजिए, मन और दृष्टि कूटस्थ में रखिये!
प्रथम भाग :
गर्दन को नीचे झुक के अवचेतनावस्था मे बैठना चाहिए!  वैसा 108 पर्याय क्रिया करना चाहिए!  
द्वितीय भाग :
गर्दन को पीछे मोड़ के अधिचेतनावस्था मे बैठना चाहिए! वैसा 108 पर्याय क्रिया करना चाहिए!  


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