बीजमंत्रों
मै अभी महत्वपूर्ण गणेश मूल मंत्रम् का उच्छारण करेंगे!
सीदा बैठिये, पूरब को सामना कीजिए, मन और दृष्टि कूटस्थ में रखिये,
ॐ श्रीं ह्रीम् क्लीम् ग्लौं गं गणपतये नमः
ॐ -- मूलाधार - पृथ्वी मुद्रा
श्रीं -- स्वाधिष्ठान- वरुणमुद्रा
ह्रीम् -- मणिपुर – अग्नि मुद्रा
क्लीम् -- अनाहत– वायु मुद्रा
ग्लौं -- विशुद्ध –शून्य मुद्रा
गं -- आज्ञा नेगटिव– ज्ञान मुद्रा
गणपतये -- कूटस्थ अथवाr आज्ञा पाजिटिव– ज्ञान मुद्रा
नमः – सहस्रार – सहज मुद्रा
चक्र का अनुसार मुद्रा डालना! तनाव डालना, एकाग्रता रखना! 108 बार कमसेकम 41 दिन सुबह और शाम पढ़ना! अथवा ज्ञान मुद्रा अथवा सहज मुद्रा लगा के कूटस्थ में इस मंत्र करे! तब कार्यसिद्धि लभ्य होगा, सारे प्रतिबंधो निकलजायेगा! समाधि मिलजाएगा!
मै अभी महत्वपूर्ण चामुंडी मूलामंत्रम का उच्छारण करेंगे!
सीदा बैठिये, पूरब को सामना कीजिए, मन और दृष्टि कूटस्थ में रखिये,
इन मुद्रोम् को चक्र का अनुसार apply करना चाहिए!
मूलाधार - पृथ्वी मुद्रा - अनामिका और अन्गुष्ट दबाओ, बाकी उंगुलिया सीदा रखो.
स्वाधिष्ठान- वरुणमुद्रा - कनिष्ठ और अन्गुष्ट दबाओ, बाकी उंगुलिया सीदा रखो.
मणिपुर – अग्नि मुद्रा - अनामिका और अन्गुष्ट मूल दबाओ, बाकी उंगुलिया सीदा रखो.
अनाहत– वायु मुद्रा - तर्जनी और अन्गुष्ट मूल दबाओ, बाकी उंगुलिया सीदा रखो.
विशुद्ध –शून्य मुद्रा - मध्यमा और अन्गुष्ट मूल दबाओ, बाकी उंगुलिया सीदा रखो.
आज्ञा नेगटिव– ज्ञान मुद्रा - तर्जनी और अन्गुष्ट दबाओ, बाकी उंगुलिया सीदा रखो.
कूटस्थor आज्ञा पाजिटिव– ज्ञान मुद्रा - - तर्जनी और अन्गुष्ट दबाओ, बाकी उंगुलिया सीदा रखो.
सहस्रार – सहज मुद्रा - दोनों हाथों का उम्गुलिया एक का अन्दर ऐसा रख के नाभी का नीचे दबाओ, दोनों अन्गुष्टो से नाभी दबाओ
ॐ ह्रैम् ह्रीम् क्रीम् चामुंडायैनमः
ॐ- मूलाधार - पृथ्वी मुद्रा
ह्रैम् - स्वाधिष्ठान- वरुणमुद्रा
ह्रीम् - मणिपुर – अग्नि मुद्रा
क्रीम् - अनाहत– वायु मुद्रा
चामुंडायै - विशुद्ध –शून्य मुद्रा
नमः – कूटस्थ अथवाr आज्ञा पाजिटिव– ज्ञान मुद्रा
चक्र का अनुसार मुद्रा डालना! तनाव डालना, एकाग्रता रखना! 108 बार कमसेकम 41 दिन सुबह और शाम पढ़ने से धैर्य और स्थैर्य लभ्य होगा! काम सफल होगा! अथवा ज्ञान मुद्रा अथवा सहज मुद्रा लगा के कूटस्थ में इस मंत्र करे!
मै अभी महत्वपूर्ण लक्ष्मी मूलमंत्रम् का उच्छारण करेंगे!
सीदा बैठिये, पूरब को सामना कीजिए, मन और दृष्टि कूटस्थ में रखिये,
ॐ ह्रीम् श्रीम् लक्ष्मिभ्यों नमः
ॐ- मूलाधार - पृथ्वी मुद्रा
ह्रीम् - स्वाधिष्ठान- वरुणमुद्रा
श्रीम् - मणिपुर – अग्नि मुद्रा
लक्ष्मिभ्यों - अनाहत– वायु मुद्रा
नमः - विशुद्ध –शून्य मुद्रा
चक्र का अनुसार मुद्रा डालना! तनाव डालना, एकाग्रता रखना! 108 बार कमसेकम 41 दिन सुबह और शाम पढ़ना, अथवा ज्ञान मुद्रा अथवा सहज मुद्रा लगा के कूटस्थ में इस मंत्र करे! इस से आर्धिक परिस्थिती में शुभ परिवर्तन होगा!
मै अभी महत्वपूर्ण सरस्वती मंत्रम् का उच्छारण करेंगे!
सीदा बैठिये, पूरब को सामना कीजिए, मन और दृष्टि कूटस्थ में रखिये,
ॐ श्रीम् ह्रीम् सरस्वत्यै नमः
ॐ- मूलाधार - पृथ्वी मुद्रा
श्रीम् - स्वाधिष्ठान- वरुणमुद्रा
ह्रीम् - मणिपुर – अग्नि मुद्रा
सरस्वत्यै - अनाहत– वायु मुद्रा
नमः - विशुद्ध –शून्य मुद्रा
चक्र का अनुसार मुद्रा डालना! तनाव डालना, एकाग्रता रखना! अथवा ज्ञान मुद्रा अथवा सहज मुद्रा लगा के कूटस्थ में इस मंत्र करे!
108 बार कमसेकम 41 दिन सुबह और शाम पढ़ने से स्मृति लभ्य होगा!
गायत्री मंत्र & महा मृत्युंजय मंत्र:
सीदा बैठिये, पूरब को सामना कीजिए, मन और दृष्टि कूटस्थ में रखिये, गायत्री मंत्र पढ़िए, तुरंत महा मृत्युंजय मंत्र पढ़िए,108 बार 41 दिन सुबह और श्याम कीजिए, माया पार करोगे, समाधिस्थिति पावोगे!
ॐ बूर्भुवस्वः तत्सवितार्वरेण्यम् भर्गो देवश् धीमहि धीयोयोनः प्रचोदयात्
ॐ ह्रोम ॐ ज़ूम् सः बूर्भुवस्वः
ॐ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम् पुष्टिवर्धनम्
उरुवारकमिवबंधनात् मृत्योर्मुख् क्षीयामामृतात्
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