शरीर विज्ञानशास्त्र (Anatomy) — क्रियायोग—part 2
अब कपाळ का बारे में संक्षिप्त
चर्चा करेंगे! यह 3 पौंड्(pounds) का वजन (weight) होता है! अन्दर हड्डियों से कवर यानी ढकदिया (cover)होता है! नियंत्रण केंद्र(control centre) यानी सी.यन.यस. (central
nervous system—CNS) व्यवस्था अंदाज से 100 बिलियन (billion) न्यूरान्स(neurons) से भरा हुआ होता है! एक बिलियन (billion) 100 करोड़ का बराबर होता है! कपाळ और मेरुदंड
दोनों मिलके सी.यन.यस. (central
nervous system—CNS) व्यवस्था बनता है! सारे सामाचार सेकरण, विश्लेषण, और
वितरण कार्यक्रम इधर ही होता है! मानिका चेतना (mental consciousness),
स्मृति भंडार (memory
reservoir), भावनों (Ideas), और प्रणालीका (planning) इन सब का भेजा (Cerebrum) ही केंद्र (centre) है! औरक्त प्रेषर शरीर में श्वास क्रिया, ह्रदय स्पंदन, रक्तदाब (blood pressure), हाजम (digestion) इन सभी को भेजा ही मुख्य कारण है!
अब मेरुदंड
का बारे में संक्षिप्त चर्चा करेंगे! यह पतला
और लंबा होंगे! यह न्यूरान्स (neurons) का गट्ठर(mass of bundled neurons)है! यह समाचार को मेडुल्ला अब्लंगेटा (medulla oblongata) का पास रहा मेरुदंड का प्रथम छिद्र(vertebral
cavity) का
माध्यम से लेजाता है!
मेडुल्ला अब्लंगेटा (medulla oblongata) को आज्ञा नेगटिव कहते है! मेरुदंड का प्रथम छिद्र(vertebral
cavity) को
सुषुम्ना सूक्ष्मनाडी कहते है!
मेरुदंड
का प्रथम छिद्र(vertebral cavity) मेडुल्ला अब्लंगेटा (medulla oblongata) का पास उप्पर(superior
end) में है! समाचार नीचे आयेगा
यानी मणिपुर चक्र(lumbar region) प्रदेश तक आयेगा! वहा यानी मणिपुर चक्र(lumbar region) में और दूसरा नाडी गट्ठर(mass of
bundled neurons) जैसा अलग होगा! ये दिखने में
घोड़ा का पूँछ (cauda equina) जैसाहै!
इसी कारण से नाडी गट्ठर(mass of
bundled neurons) को काड़ा ईक्विना कहते है! वहा से समाचार साक्रम (sacrum- स्वाधिष्ठान चक्र) और काक्सिक्स (coccix-मूलाधार चक्र) को पहुंचेगा!
मेरुदंड में
सफ़ेद पदार्थ(white matter) नाड़ियों का समाचारलेनेवाले मुख्यवाहिका का (main conduit of
nerve signals) काम करेगा! मेरुदंड में ग्रे पदार्थ(grey matter) प्रेरकों को समन्वय (The grey matter of the spinal cord
integrates reflexes to stimuli) करेगा!
कपाळ नाड़िया(Cranial
Nerves):
कपाळ का
अन्दर(inferior side) 12 युगल (pairs) कपाळ नाड़िया(Cranial
Nerves) होता है! हर एक कपाळ नाडी को 1से 12 तक एक संख्या (number) दिया हुआ और उसी संख्या से उस का पहचान भी है! उदाहरण के लिए—घ्राण, नेत्र, (olfactory,
optic, etc.)इत्यादि! उस संख्या से उस का काम भी पहचान में
आता है! भेजा, ज्ञानेंद्रिय(special
sense organ), भेजा का
अंदर का मांसपेशियों(muscles of the head) , गरदन(neck), कंधे(shoulders), हृदय, मुह (mouth) से गुदास्थान(anus) तक विस्तार हुआ जी.ई. मार्ग (GI tract—The gastrointestinal tract
is the soft tissue tube that begins at the mouth and ends with the anus and
includes all the organs in between),बीच का अंगों, और टिस्यूस(tissues) पर्यंत इन कपाळ नाड़िया(Cranial
Nerves) भेजा और इन को
प्रत्यक्ष सम्बन्ध(direct connection) कराएगा!
कपाळ नाडीयो का काम(Cranial Nerves):
12 युगल (pairs) कपाळ नाड़िया(Cranial
Nerves) का अपना अपना विशेष काम होता है!
घ्राण नाडी(olfactory nerve I): यह नाडी नाक से भेजा को गंध समाचार लेजाता है!
नेत्र नाडी (optic nerve II): यह नाडी
नेत्रों से भेजा को दृशय समाचार लेजाता है!
ओक्युलो मोटर (Oculomotor III), ट्रोक्लियर (trochlear IV), और अब्ड्यूसन (abducens VI) नाडिया सब मिलके काम करता है! उस का हेतु कपाळ, नेत्रों का गति (motion or movement), और स्थिर(focus) रकने का काम होगा!
ट्रिगेमिनल्(trigeminal nerves V) नाडिया मुख(face) संकेतों(signals) को एक प्रदेश से दूसरा प्रदेश में लेजाएगा! और चबाने का शक्ति (power of chewing) देता है!
मुख(face) का नाडी संकेतों(signals) को एक प्रदेश से दूसरा प्रदेश में लेजाएगा! और उन मांसपेशियों (muscles) को संदर्भ का अनुसार बंद(contract/tense) करना या खोलना (open/relax) करेगा! रूचि (taste) समाचार को जीब (tongue)का आगे प्रदेश से भेजा को लेजाएगा!
वेस्टिबुलोकोच्लियर(vestibulocochlear VIII) नाडी श्रवण (hearing) और समतुल्यता (balance) समाचार कानों (ears) से भेजा को लेजाएगा!
ग्लोसोफारंगियल (glsoopharyngeal IX) नाडी रूचि (taste) समाचार को जीब (tongue)का पीछे प्रदेश
से भेजा को लेजाएगा! और निगलने का सहायता करेगा!
वेगास नाडी(vagus nerve-X) अत्यंत विशेष नाडी है! (It
innervates many different areas.) यह सारे प्रदेशों
में प्रवेश करेगा! इसी हेतु इस को(wandering nerve) घूमनेवाला नाडी कहते है! वह
समाचार को मुख्या अंगों को लेजाएगा! भेजा से
गर्दन, और घड (torso) तक, और इन अंगों से भेजा तक समाचार लेजाएगा! भेजा से मोटार यानी प्रेरक
संकेतों (signals) को परिस्थितियों
का अनुसार होने के लिए प्रवर्तित करेगा!
सहायक नाडी (accessory nerve XI) कंधो और गर्दन का गतियो (movements) को नियंत्रित करेगा!
हहैपोग्लोसल्(hypoglossal nerve XII) नाडी जीब(tongue) को बात
करने और निगलने का काम करेगा!
मेरुदंड नाड़िया(Spinal Nerves):
मेरुदंड का बाए और दाहिने दोनों ओर 31 युगल (pairs) मेरुदंड नाड़िया होता है! ये मिश्रित नाड़िया
है! ये सेम्सरी और मोटार समाचार दोनों को मेरुदंड और दूसरा शरीर प्रांतो (specific
regions)में विशेष काम के
लिए लेजाते है! इन 31 युगल (pairs) मेरुदंड नाड़िया को 5 समूहों में (split into 5 groups) विभाजन किया हुआ है! इन 5 प्रांतो(regions) का नाम उन उन का काम का अनुसार दिया हुआ
है!
गर्दन (विशुद्ध चक्र प्रांत) में 8 युगल (pairs of cervical nerves) गर्दन नाडिया होता है!
हृदय का समीप में (आनाहत चक्र प्रांत) 12 युगल(pairs of thoracic nerves) नाडिया होता
है!
नाभी का समीप में (मणिपुर चक्र)5 युगल (pairs of lumbar nerves) नाडिया होता है!
कमर का समीप में (स्वाधिष्ठान चक्र) 5 युगल (pairs of sacral nerves) नाडिया होता है!
गुदस्तान का समीप में (मूलाधार चक्र) 1 युगल (pairs of coccygeal nerves) नाडिया होता है!
हर एक मेरुदंड नाडी मेरुदंड से अलग रहेगा!
मेनिन्जेस(Meninges):
सी.यन.यस. (central nervous system—CNS) नाडी व्यवस्था को मेनिन्जेस (Meninges) तीन आवरणवाला (three layered) रक्षण कवच (protective cover) है! इन्ही को ड्यूरा
पदार्थ(dura matter), अरकनाइड् पदार्थ (archnoid
matter), और पया पदार्थ (pia matter) कहते है!
ड्यूरा पदार्थ(dura matter): घाडा(thick), सख्त(hard), और सबसे उप्पर होनेका आवरण(superficial
layer) इस मेनिन्जेस(Meninges) का ड्यूरा पदार्थ(dura matter) है! यह मा जैसा एक सख्त आवरण (Tough mother) है! यह यहाँ वहा (irregular)सम्बन्ध करानेवाला(connective
tissue) टिष्यू है! इस टिष्यू में ताकतवाला रेशा (collagen
fibres), और रक्तवाहिकाए (blood vessels) होता है! यह ड्यूरा पदार्थ(dura matter) केंद्रीय नाडी व्यवस्था(central nervous system—CNS) को बाहर हानी से(external
damage) रक्षा करेगा! भेजा-मेरुदंड द्रव(cerebrospinal
fluid) इस में होता है! केंद्रीय नाडी व्यवस्था(central nervous
system—CNS) को चारों ओर घेर करके (encircle) रहेगा! रक्त को नाडी टिष्यू को पहुन्चादेगा!
अरकनायिड पदार्थ(arachnoid mater):
यह मकडी(spider-like mother) जैसा मा है!
यह ड्यूरा पदार्थ(dura matter) से अधिक पतला(thin) और अधिक मृदु (delicate) है! यह ड्यूरा
पदार्थ(dura matter)
का अन्दर यानी नीची की आवरण पदार्थ है! यह अरकनायिड
पदार्थ(arachnoid
mater) में बहुत ज्यादा पतला रेशा ( more thinly fibres) होता है! इन का माध्यम से अरकनायिड पदार्थ(arachnoid mater) और उनका नीचेहोनेवाली पया पदार्थ (pia mater) सम्बन्ध (contact) मिलेगा! अरकनायिड पदार्थ(arachnoid mater) और उनका नीचेहोनेवाली पया पदार्थ (pia mater) इन दोनों
आवरणों का बीच में और पतला होनेवाली एक और पदार्थ सब अरकनायिड पदार्थ(sub arachnoid mater) होता है!
पया पदार्थ (pia mater):
इस पदार्थ को मृदु मा (tender mother) कहते है! यह बहुत ज्यादा मुलायम आवरण टिष्यू है! यह केंद्रीय नाडी केंद्र (central nervous system—CNS) व्यवस्था का रक्षण
के लिए बना हुआ है! इस पया पदार्थ (pia mater) सुलसी और दरार (penetrates into
the valleys of the sulci and fissures of the brain) उपत्यको (valleys)में घुसता है! और
उस तरीका में सारे केंद्रीय नाडी केंद्र (central nervous
system—CNS) व्यवस्था को छुपाता(covers) है!
भेजा-मेरुदंड द्रव(Cerebrospinal
Fluid):
केंद्रीय
नाडी केंद्र (central
nervous system—CNS) व्यवस्था का सारे खाली प्रदेश स्वच्छ द्रव से भरा हुआ होता है! उस द्रव
को भेजा-मेरुदंड द्रव(Cerebrospinal Fluid- CSF) कहते है!
इस सी.एस.ऍफ़. द्रव(CSF) रक्तक जालक (choroid plexus) से भेजा का निलय(ventricles)में तैयार होता
है! उस सी.एस.ऍफ़. द्रव(Cerebrospinal
Fluid- CSF)को प्लास्मा(plasma) लेकर
आयेगा! पोषणपदार्थ(nutrients), हारमोंस (harmons), प्रोटीन्स (proteins), इन सब को अवसर का
अनुसार प्रदेशों को लेजाना, कणों में रक्त छोड़ने
व्यर्थो को श्री र से अलग करना, और प्रसरण व्यवस्था या सिस्टम(Circulatory
system) में सारे चीजों
को लेजाना, शरीर रक्षण के लिए रोगप्रतिकारक या
यांटिबाडीस्(Immunoglobulins-antibodies), रक्त को घनीभव होने (clotting factors) के लिए सहायता करना, इस पीलारंगवाली रक्तप्लास्मा(blood plasma) का काम है! इतना ही नहीं, रक्तप्लास्मा(blood plasma) में प्रोटीन्स (proteins albumin and
fibrinogen) अल्बूमिन, और फिब्रिनोजेंस भी होता है!
मेटबालिसम(Metabolism):
पोषणपदार्थ (nutrients-carbon, hydrogen,
oxygen, nitrogen, phosphorus, sulphur etc) यानी कार्बन, हैड्रोजेन, आक्सिजेन, नैट्रोजेन, फास्फरस, सल्फर, इत्यादियो का लभ्य और लभ्यसाधना संबंधित है!
पोषणपदार्थ(nutrients) शरीर का टिष्युओं (tissues) को निर्माण करेगा! शरीर में पोषणपदार्थ (nutrients-carbon, hydrogen,
oxygen, nitrogen, phosphorus, sulphur etc) यानी कार्बन, हैड्रोजेन, आक्सिजेन, नैट्रोजेन, फास्फरस, सल्फर, इत्यादियो 20 (inorganic elements) इनार्गानिक पदार्थो का अत्यंत आवश्यक है! इन पोषणपदार्थ(nutrients) हमको कार्बो हैद्रेट्स(carbohydrates), लिपिड्स(lipids), और प्रोटीन्स(protein) का माध्यम से लभ्य होता है! इनका साथ साथ विटामिन्स(vitamins), मिनरल्स(minerals), और पानी(water) भी अत्यंतअवसर है!
कटबालिसम(Catabolism)— शरीर का अवसर शक्ति लभ्य होने वासते मालिक्यूल्स(molecules) को तोडनापड़ता (the break down of molecules to obtain energy) है! इसी को
कटबालिसम (Catabolism) कहते है!
यनबालिसम(Anabolism) — शरीर का कणों का अवसर निमित्त संयोग करने सारे मिश्रितों(the synthesis of all compounds
needed by the cells) का
संयोग करने को यनबालिसम(Anabolism) कहते है!
खोरायिड प्लेक्सू (choroid plexus—CP):
खोरायिड प्लेक्सू (choroid plexus—CP) अधिकाधिक पतालासा (capillaries)
रक्तवाहिकाए, और उनको
छुपाते (cover) हुआ एपिथेलियल (epithelial tissues) टिष्युओं में होता है! इन एपिथेलियल (epithelial tissues) टिष्युओं ब्लड प्लास्मा (blood plasma) और
भेजा-मेरुदंड(Cerebrospinal Fluid—CSF)द्रव को छनकर अलग करेगा! ऐसा छाना हुआ भेजा-मेरुदंड(Cerebrospinal Fluid—CSF)द्रव भेजा का अन्दर का खाली प्रदेशों को भरपूर करेगा! खोरायिड प्लेक्सू (choroid plexus—CP) एक चलानी जैसा उपकरण है! वह रसप्रक्रिया या मेटबालिसम (Metabolism) समय में आनेवाली व्यर्थो, विदेशी यानी दूसरा पदार्थो (foreign substances) का जमाव, और ज्यादा हुआ रसायनों(excess neurotransmitters), इन
चीजों को सी.यस.रफ. (Cerebro
spinal Fluid--CSF) से (filter) छानेगा!
नया बना हुआ सी.यस.रफ. (Cerebro spinal Fluid--CSF) भेजा का अन्दर का खाली
प्रदेशों से प्रवाहित होगा! वह मेरुदंड का अन्दर एक पतलासा कुल्या(central canal) का माध्यम से पहुंचेगा! इस सी.यस.रफ. (Cerebro
spinal Fluid--CSF) सब
अरकनायिड पदार्थ(sub arachnoid mater) खाली
प्रदेश यानी सी.यस.रफ. का बाहर तरफ भी प्रवाहित होगा! सी.यस.रफ.(CSF) खोरायिड प्लेक्सू (choroid plexus—CP) में निरंतर तैयार होते रहता है! अरकनायिड अंकुरों यानी विल्ली (arachnoid villi) नाम का प्रदेशों में रक्त में पुनःसोख(reabsorbed) लेता है!
नाडीयो का रक्षण देना,
गर्दन और कपाळ को आनेवाली अचानक (sudden shocks)
झटकों से रक्षण देना, गर्दन
और मेरुदंड को आनेवाली अचानक झटकों से रक्षण देना, शीघ्र
गति( धौडना, क्रीडा, और
अचानक होनेवाला मारपीट इत्यादि) इत्यादियो से आनेवाली झटकों को सोख(absorb)के रक्षण
देना,
मेटबालिजम(Metabolism) समय में आनेवाले
व्यर्थो को निकालना सी.यस.रफ. (Cerebro spinal Fluid--CSF)
का काम है!
ज्ञानेंद्रियों (Sense
Organs):
दृष्टि(eyes), रूचि(taste), गंध(smell), श्रवणं(hearing), स्पर्श(touch), और सम तुल्यत (balance), ये सब विशेष
इन्द्रियों है! स्पर्श(touch) अनुभव करने ग्रहणशील पात्राए (Sensory receptors) सारे शरीर में है! अफ्फेरेंट (afferent neurons) न्यूरांस ज्ञानेंद्रिय (Sensory
information)समाचार को केंद्रीय नाडी व्यवस्था (central nervous system—CNS) को विश्लेषण (analysis) के लिए लेजाएगा!
बाह्य नाडी व्यवस्था(Peripheral Nervous
System—PNS): भेजा और मेरुदंड शिवा बाकी
सब नाडी व्यवस्था इस बाह्य नाडी व्यवस्था(Peripheral Nervous System—PNS) परिधि में
आयेगा!
सोमाटिक
नाडी व्यवस्था(somatic nervous
system—SNS): इस SNS बाह्य नाडी व्यवस्था(Peripheral Nervous System—PNS) का एक भाग
है! प्रयत्नपूर्वक (स्वेच्छा) कामकरनेवाले (voluntary efferent neurons) अफेरेंट न्यूरांस बाह्य नाडी व्यवस्था(Peripheral Nervous System—PNS) में भाग है! सोमाटिक नाडी व्यवस्था(somatic nervous system—SNS)
प्रयत्नपूर्वक (स्वेच्छा) नियंत्रण करनेवाले (consciously
controlled part) छीज (thing) है! अस्थिपंजर (skeletal muscles) मांसपेशीयो को उत्प्रेरण (stimulation)करना सोमाटिक
नाडी व्यवस्था (somatic nervous
system—SNS) का बाध्यता
(responsibility) है!
अटानामिक नाडी
व्यवस्था(Autonomic
Nervous System—ANS): यह भी बाह्य नाडी व्यवस्था(Peripheral Nervous
System—PNS) का भाग है! अप्रयत्नपूर्वक (स्वेच्छारहित) कामकरनेवाले (involuntary efferent neurons) अफेरेंट न्यूरांस अटानामिक नाडी व्यवस्था(Autonomic Nervous
System—ANS) में होता है! इन्ही को प्रेरण यानी मोटार न्यूरांस(motor neurons) भी कहते
है! अटानामिक नाडी व्यवस्था(Autonomic Nervous
System—ANS) अवचेतना एफेक्टर्स
(subconscious
effectors) को नियंत्रण करेगा! उदाहरण के लिए मांसपेशी का अन्दर (visceral muscle
tissue)का टिष्यू, ह्रदय
मांसपेशी का अन्दर(cardiac
muscle tissue)का टिष्यू, और
ग्लांड्युलर (glandular tissue) टिष्यू!
अटानामिक नाडी
व्यवस्था(Autonomic
Nervous System—ANS) दो प्रकार का है!
वे —सिंपथटिक(sympathetic) और पारासिंपथटिक (parasympathetic) है! ये भी
बाह्य नाडी व्यवस्था(Peripheral Nervous
System—PNS) का भाग है!
इस बात को भूलना नहीं चाहिए!
सिंपथटिक(sympathetic Nervous System) नाडी व्यवस्था: परीशान(stress), अपाय (danger), उद्रेक(excitement), व्यायाम(exercise), भावोद्वेग (emotions), और असहानता (embarrassment) इत्यादियो विषयों में परिस्थतियों का अनुसार
स्पंदन करेगा! उन परिस्थतियों का अनुसार दबाव हारमोंस(stress
hormones) और अड्रीनलीन(adrenaline) को छोड़ेगा (secretion)! पाचनशक्ति (digestion) को कम करेगा! इसी को ‘लड़ो और भागो’(Fight and flight) कहते
है!
पारासिंपथटिक (parasympathetic Nervous System) नाडी व्यवस्था: इस में
विश्रांती और पाचनशक्ति (rest and digest) पद्धति (procedure) होता है! यह सिंपथटिक(sympathetic Nervous System) नाडी व्यवस्था ने जो बढ़ावा करेगा उस को इस पारासिंपथटिक (parasympathetic Nervous System) नाडी व्यवस्था कम करेगा! इसी को सिंपथटिक और पारासिंपथटिक इन दोनों
अन्योन्याश्रित या समपूरक (complementary to each other) कहते है!
यंटरिक (enteric nervous system—ENS)नाडी
व्यवस्था: यह अटानामिक नाडी
व्यवस्था(Autonomic
Nervous System—ANS) का भाग है! इस ENS यंटरिक (enteric nervous system—ENS)नाडी व्यवस्था केंद्रीय नाडी व्यवस्था (central
nervous system—CNS) का सिंपथटिक और पारासिंपथटिक नाडी व्यवस्थों
इन दोनों का माध्यम से समाचार सेकरण करेगा और अपना कार्यो को क्रमबद्धीकरण (regulate) करेगा!
पाचनशक्ति(regulating digestion) को ठीक करने को, और पाचनशक्ति (function of the digestive organs) अंगों से सही काम करवाना इस यंटरिक (enteric nervous system—ENS)नाडी
व्यवस्था का बाध्यता (responsibility) है!
मयेलिनेषन् (Myelination): न्यूरांस
का याक्जांस (axons) एक इन्सुलेशन (insulation) आवरण से घेरा हुआ होता है! उस इन्सुलेशन(insulation) आवरण को मयेलिनेषन् (Myelination) कहते
है! इस मयेलिनेषन् (Myelination)
से नाड़ियों काम का गति(speed of nerve conduction) शीघ्रतर होता है!
इस मयेलिनेषन् (Myelination) नाम का इन्सुलेशन(insulation) आवरण दो प्रकार का ग्लियल (glial cells) कणों
से बनता है! वे— बाह्य नाडी व्यवस्था(Peripheral Nervous
System—PNS) का स्क्वान कणों और ओलिगो डेंड्रोसैट्स(oligodendrocytes) कणों
है! दोनों में ग्लियल (glial
cells) कणों
अपना प्लास्मा झिल्ली(plasma
membrane) से याक्जांस
(axons) का
चारों ओर एक गहरा (thick) लिपिड (lipid) आवरणों (layers)से कवर (cover) करके रखेगा! इस प्रकार
का मयेलिन (Myelin)आवरणों(sheaths) से
घेरने को मयेलिनेषन् (Myelination) कहते
है!
लिपिड
एक आर्गानिक समूह(organic compounds) है! उन
को हाथ से स्पर्श करने से चिकना (oily)
लगेगा! इन
लिपिड्स(Lipids) पानी में लीन (melt) नहीं होगा! उदाहरण के लिए—चर्बी आम्लों(fatty acids), तेल(oils), मोम (waxes, sterols, and triglycerides)! ये सब शक्ति का मूल(source of stored energy)
है! इन
लिपिड्स(Lipids) कण झिल्ली(cell membrane)
का भाग है!
प्रतिचर्य (Reflexes): अप्रयत्नपूर्वक लेनेवाली चर्यो को
प्रतिचर्यों (Reflexes) कहते है! ये
प्रतिचर्यों (Reflexes) मेरुदंड या मस्तिष्क स्तंभ(brain stem) का ग्रे पदार्थ (grey matter) का साथ मिलके काम करेगा! ये प्रतिचर्यों (Reflexes) समाचार भेजा को पहुँचने के पहले ही को
न्यूरांस का माध्यम से अनुभव(experience) करने अंग(effectors) काम करने के लिए प्रेरण करेगा! उदाहरण के लिए—हमको गरम अनुभव प्राप्त नहीं होने से भी, गरम वस्तु से तुरंत हाथो को पीछे लेता है!
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ग्रंधि(gland):
यह एक टिष्यू(tissue) जैसा रूप में होता है! विविध प्रकार का ग्रंधियो विविध
प्रकार का कार्यो के लिए उपयोग होता है! इन ग्रंधियो दो
प्रकार का होते है! वे—एक्सोक्रिन(Exocrine) और एंडोक्रिन (Endocrine gland)
है!
एक्सोक्रिन(Exocrine gland) ग्रंधि
अपना रस (juice) को
एक नाली(duct--pipe) का माध्यम से अवसर प्रदेश को उस रस को भेजेगा!
उदाहरण: लार ग्रंधियो(salivary glands),
पशीना ग्रंधियो
(sweat glands),
और दूध ग्रंधियो(mammary
glands) इत्यादि!
एंडोक्रिन (Endocrine gland) ग्रंधि(ductless gland) अपना रस (juice) को रक्त में
विसर्जन (excrete) करता है! वह रस(juice) सारे शरीर में
घूमेगा! उदाहरण: थैराइड्(thyroid gland),अड्रेनल्स्(adrenals), और पिट्यूटरी(pituitary) इत्यादि!
पिट्यूटरी(pituitary gland)ग्रंधि: भेजा में
दूसरा प्रदेश में रहा हैपोथलमस् (hypothalamus) शरीर से समाचार सेकरण करता है! इस पिट्यूटरी(pituitary gland)ग्रंधि
उस हैपोथलमस् (hypothalamus) से ही समाचार सेकरण करता है! हमारा शरीर में हारमोन (harmone) का उत्पत्ति लेवेल (production level) बहुत कम होनें पर हैपो थलमस् (hypothalamus) तुरंत हार्मोन (harmone) का माध्यम से एक
संकेत (signal) पिट्यूटरी(pituitary gland)ग्रंधि को भेजेगा! तब उत्पत्ति लेवेल (production level) बहुत कम हुआ उस हार्मोन(harmone) को खुद ही
बनाएगा और रक्तप्रसरण(blood circulation) का माध्यम से उस ग्रंधि को रवाणा करेगा! सही प्रवर्तन नहीं हुआ ग्रंधि को नियंत्रित करेगा! हार्मोन(harmone) उत्पत्ति लेवेल (production level)अधिक होने पर घटाने
को, और कम होने पर
बढाने को आज्ञा(order)करेगा! ट्यूमर (tumor) का हेतु पिट्यूटरी(pituitary gland)ग्रंधि सही ढंग से
काम नहीं करापायेगा!
सफ़ेद और ग्रे पदार्थो (White matter & gray matter):
याक्सांस
(axons) लिपिड्स (lipids)से घेर्वाकर (encircled/covered with lipids) मैलिनेटेड् (myelinated) होने पर वो सफ़ेद पदार्थ(White matter) का रूप में दिखाईदेगा! अन्दर भेजा(inner brain) और मेरुदंड
का अन्दर आवरण (inner layer) बनाता है! भेजा और मेरुदंड को समाचार शीघ्रगति से लेजाना इस सफ़ेद पदार्थ(White matter) का विशेषता है! ग्रे पदार्थ(gray matter) अनमैलिनेटेड् (unmyelinated) यानी ऐसा लिपिड्स (lipids)से घेरा हुआ नहीं होने पर ग्रे(gray) रंग में होगा! इस ग्रे पदार्थ(gray matter)का अंदर का समाचार भेजा में प्रगति (process) यानी परिवर्तन किया जाता है!
पाचन क्रिया(Digestive system) व्यवस्था:
पाचन
व्यवस्था में बहुत कुछ अंगों मिलके एक साथ एक पद्धती में काम करेगा! इस प्रक्रिया
में आहार को शक्ति (energy) और पुष्टिकारण (nutrients) पदार्थों रूप में
परिवर्तन कियाजाता है! पोषणपदार्थ (nutrients-carbon, hydrogen,
oxygen, nitrogen, phosphorus, sulphur etc) यानी कार्बन, हैड्रोजेन, आक्सिजेन, नैट्रोजेन, फास्फरस, सल्फर, इत्यादियो 20 (inorganic elements) इनार्गानिक
पदार्थो का शरीर को अत्यंत आवश्यक है! लिया हुआ आहार (alimentary canal or
the gastrointestinal tract -GI tract) एक लंबा सा नाली यानी जी.ऐ. नाली का माध्यम से अन्दर भेज्दियाजाता
है! मुह(oral cavity), गल्ला(pharynx), इसोफगस(esophagus), उदर(stomach), छोटा
आंतड़ियों(small intestines), और बड़ा आंतड़ियों(large intestines) इन सब पाचन क्रिया (Digestive system) व्यवस्था का मुख्य अंगों है! दांतों(teeth), लार ग्रंधियो(salivary glands), jigar (liver), गाल ब्लाडर
(gallbladder), और
पाम्क्रियास(pancreas) जैसा अंगों सहायक अंगों है! इन सब को
मिलाके जी.ऐ.नाली(GI tract) कहते है! इन सहायक अंगों में आहार नहींजाएगा
पाचन क्रिया(Digestive system) व्यवस्था:
पाचन
व्यवस्था में बहुत कुछ अंगों मिलके एक साथ एक पद्धती में काम करेगा! इस प्रक्रिया
में आहार को शक्ति (energy) और पुष्टिकारण (nutrients) पदार्थों रूप में
परिवर्तन कियाजाता है! पोषणपदार्थ (nutrients-carbon, hydrogen,
oxygen, nitrogen, phosphorus, sulphur etc) यानी कार्बन, हैड्रोजेन, आक्सिजेन, नैट्रोजेन, फास्फरस, सल्फर, इत्यादियो 20 (inorganic elements) इनार्गानिक
पदार्थो का शरीर को अत्यंत आवश्यक है! लिया हुआ आहार (alimentary canal or
the gastrointestinal tract -GI tract) एक लंबा सा नाली यानी जी.ऐ. नाली का माध्यम से अन्दर भेज्दियाजाता
है! मुह(oral cavity), गल्ला(pharynx), इसोफगस(esophagus), उदर(stomach), छोटा
आंतड़ियों(small intestines), और बड़ा आंतड़ियों(large intestines) इन सब पाचन क्रिया (Digestive system) व्यवस्था का मुख्य अंगों है! दांतों(teeth), लार ग्रंधियो(salivary glands), jigar (liver), गाल ब्लाडर (gallbladder), और पाम्क्रियास(pancreas) जैसा अंगों सहायक अंगों है! इन सब को
मिलाके जी.ऐ.नाली(GI tract) कहते है! इन सहायक अंगों में आहार नहींजाएगा
पाचन क्रिया(Digestive system) को छे भाग में विभाजन करसकता है! वे—आहार को अन्दर भेजना (Ingestion), स्रवण करना
(Secretion), मिलाना और
चलाना(Mixing and
movement), पाचन करना(Digestion), अन्दर
ग्रहण(Absorption) करना, और विसर्जन करना (Excretion)!
पाचन क्रिया पद्धति:
मुह(Mouth): पाचन क्रिया(Digestion), मुह (oral cavity) से आरंभ होगा! दांतों से टूकुड़ा या खंडो (pieces) किया हुआ आहार लार ग्रंथियों(salivary glands) से सजलता (moistened) करवाके जीब(tongue) से गला(pharynx) का अन्दर धक्का(push) दिया हुआ होता है! 32 दांतों में हर एक दांत डेंटिन(dentin) नामका
पादार्थ से बनाहुआ होता और एनामिल(enamel) से कवर(cover) कियाकर बहुत सख्त होता है!
हर एक दांत पल्प(pulp) नाम का मुलायम प्रदेश में रहेगा! इन
दांतों में रक्तवाहिकाए (blood vessels) और नाडिया
होंगे! जीब का उप्पर रूचि(taste buds) कलियाँ रूचि को पहचान के नाड़ियों का
माध्यम से भेजा को भेजेगा! तब उस पदार्थ निगल्जायेगा, गला का अन्दर जाएगा! इस काम के लिए मुह का
अन्दर हुआ तीन युगल (3 pairs of salivary glands) लार ग्रंथियों अवसर का मुताबिक़ सजलता (moisture) देदेगा! ऐसी सजलाता किया हुआ कार्बोहैड्रेट्स (carbohydrates) पाचन (digest) होना शुरुआत
होजायेगा! इस पदार्थ इसोफेगस(esophagus) में भेजदिया जाएगा! गला(pharynx) का पात्र श्वास्क्रिया में महत्वपूर्ण
है! नाक (nose) से अन्दर खीचा या ग्रहण किया हुआ श्वास
लारिंग्स(larynx) से फेफडो(lungs) में जाने के लिए गला(pharynx) का माध्यम से ही जानाहोगा! गला(pharynx) में एपिग्लाटिस्(epiglottis)एक स्विच (switch) जैसा टिस्यू (tissue) होता है! वह आहार इसोफेगस(esophagus) का अन्दर, और हवा या
श्वास लारिंग्स(larynx) का अन्दर जाने को सहायता करेगा!
इसोफेगस(esophagus): यह गला(pharynx) और उदर (stomach) को मिलानीवाले एक मांसपेशी नाली है! उदर (stomach) उप्पर
जी.ऐ. मार्ग(upper gastro intestinal tract) का एक भाग है! उस का नीचे (lower esophageal sphincter or cardiac sphincter) स्पिंक्टेर नाम का एक गोलाकार अंगूठी(round ring) जैसा मांसपेशी होता है! वह आहार को ग्रहण करके इसोफेगस(esophagus) को बंद करेगा!
उदर(stomach) एक मांसपेशी(a muscular sac) थैली है! अब्डामिनल् छिद्र (abdominal cavity)का बाजू में, और डयाफ्रं(diaphragm) का साथ एकदम (just down) नीचे दो मुट्टी का बराबर का लंबा आकृति का
रूप में इस उदर (stomach) होता है! उदर(stomach) यानी पेट एक आहार का भांडागार है! यहाँ हम खाया हुआ आहार धीमी धीमी
पाचन होने वास्ते रखाजाता है! उदर (stomach) में हैड्रोक्लोरिक आम्ल(hydrochloric acid and digestive enzymes) और इतर पाचन एंजैम्स अवसर का मुताबिक़ होते है! पूरा दिन पाचन क्रिया
होनेवास्ते ये सब सहायकारी है!
छोटा अंतड़ी(Small
Intestine):
छोटा अंतड़ी(Small
Intestine)एक इंच(1 inch in diameter) व्यास, दस फुट (10 feet length) लंबा वाला नाली
है! यह नीचे जी.ऐ. मार्ग(lower gastro intestinal tract) का एक भाग है! छोटा अंतड़ी(Small Intestine) उदर (stomach) का नीचे है! अब्डामिनल् छिद्र (abdominal cavity)में अधिकतर भाग यह छोटा अंतड़ी(Small Intestine) आक्रमण(occupy) करेगा! यह लपेटकर
गोलाबनाहुआ होता है! ऐसा होनेपर
आहार पाचन होकर उस आहार का अन्दर का न्यूट्रियंट्स(nutrients) शरीर में (absorb) निगलजायेगा! छोटा अंतड़ी(Small Intestine) को छोड़ने का पहले ही करीब करीब 90% न्यूट्रियंट्स(nutrients) निगलजायेगा!
जिगर और गाल
ब्लाडर (Liver and Gallbladder):
करीब करीब त्रिकोणाकृती में (roughly
triangular accessory) तीन पाउंड्स वजन (3lbs weight) होनेवाली शरीर में दूसरा अंग यह जिगर(liver organ) है! यह एक सहायक अंग है! यह जिगर(liver organ)उदर का दाहिने तरफ में, डयाफ्रं(diaphragm) का एकदम नीचे, और छोटा अंतड़ी(Small
Intestine) का उप्पर होता है! पित्त(bile) को उत्पत्ति करके उस को छोटा अंतड़ी(Small
Intestine) का पाचन क्रिया के लिए स्रावित(secretion) करना जिगर का विशेष काम है!
मोती का
आकार में जिगर(Liver) का एक दम पीछे(just posterior) होनेवाली अंग गाल ब्लाडर (Gall bladder)है! अधिक उत्पत्ति
हुआ पित्त (bile) को रखना अथवा छोटा अंतड़ी(Small
Intestine) में पुनः घुमाना
(recycle) इस गाल ब्लाडर (Gall bladder) काम है! यह पाचन के लिए सहायता करेगा!
प्लीहा(spleen):
उदर संबधी(abdomen cavity)छिद्र का बाए तरफ
उप्पर, उदर का एक दम Just posterior part)
पीछे, और डयाफ्रम(diaphragm) का नीचे मुलायम जैसा होनेवाला अंग प्लीह(spleen) है! खाली हुआ यानी(depleted red blood cells) खराब हुआ लाल रक्तकणों को रक्तप्रवाह से छानेगा(filter out) और नाश(destroy) करेगा! अत्यांतावश्यक समय में अपना अन्दर
छिपा हुआ रक्त एक कप(cup) देदेगा! लिम्फ नोड्स(lymph nodes) का साथ लिम्फोसैट्स(lymphocytes)
को भी उत्पत्ति करके रक्षण करता है! प्लीहा(spleen) में टी. कणों (T cells), बि कणों (B.cells), डेंड्रैट्.
कणों (dendrite cells), माक्रोफेजेस् (macrophages), और लाल रक्तकणों (red blood cells), होता है! विदेशी
पदार्थो(antigens-foreign materials) यानी यांटिजेंस को रक्त से निकालदेगा! प्लीहा(spleen) एक रोगनिरोधाकशक्ति (immunological command center) केंद्र है! प्लीहा(spleen) में बि कणों (B.cells) यांटिबाडीस (antibodies) उत्पत्ति
करके रक्षण करेगा!
बोनमारो (bone marrow) रक्तकणों को वृद्धि करेगा! रोगनिरोधका
शक्ति (immune system) संबंधित कणों सब बोनमारो(bone marrow)से ही उत्पत्ति होता है!
शरीर का बाए भाग
बहुत कुछ अंगों का आलवाल है! बाये फेफड(left kidney), बाए अंडाशय (left ovary), बाए अड्रिनल ग्रंथि(adrenal gland), उदर (stomach), प्लीहा(spleen), ह्रदय, और पाम्क्रियास(pancreas), ये सब अंगों बाए भाग में उपस्थित है!
इसीलिये हिन्दू अपना पत्नी को बाए तरफ बिठाके सारे विशेष कार्यो यानी विवाह, पूजा इत्यादि करने का तात्पर्य ‘हे पत्नी, तुम मेरा विशेष
भाग (partner) है’ कहने का ही है!
छोटा अंतड़ियों तीन भाग में समझना होता है!
वे—डुयोडिनेम (Duodenum), जेजुनं (Jejunum), और इलियं(Ilium)!
डुयोडिनेम (Duodenum): आहार को तोड़ने के हेतु(breakdown of food) बाध्यतायुत बैल और पाम्क्रियास (Bile juice and pancreatic juice) रसों को
ग्रहण करना (receives) डुयोडिनेम (Duodenum) का विशेषता
है! म्यूकस (mucus)को स्रावित करनेवाला ब्रुन्नर(Brunner) ग्रंथि डुयोडिनेम (Duodenum) में ही है! पाचन और ग्रहण करना (digestion and absorption) इन दोनों काम को ब्रुन्नर(Brunner) ग्रंथि और डुयोडिनेम (Duodenum) मिलके सहायता करेगा! छोटा अंतड़ियों में 40% प्रदेश डुयोडिनेम (Duodenum) का ही है!
जेजुनम(Jejunum): यह थोड़ा मोटा और गोलाकृति में (thick
&coiled tube) होनेवाली नाली है!
हाथ की अंगुली(fingerlike) जैसा आगे निकलके आनेवाली(projections) जेजुनम(Jejunum)
का दीवारों को विल्ली (villi) कहते है! इस विल्ली (villi) और अतिसूक्ष्म
विल्लीयों (microvilli) से बनाहुआ होता है! ये अधिकतर न्यूट्रियंट्स(nutrients) यानी पोषण पदार्थो को छोटा
अंतड़ी में पाचन होनेके लिए सहायता करेगा! साधारण शक्करो (Simple
sugars), पानी में निगलनेवाले विटामिनो((except
vitamin C and some Bs) और आहार से बननेवाली अमिनो
आम्लों (amino
acids), ये सब विल्लियो (villi) से रक्त में मिलजाता है! चर्बी(fat) लिम्फ सूक्ष्म वाहिकायो (lymph capillaries) में भेजदिया जयेगा! शेष आहार
इलियम(Ilium)
में भेजदिया जयेगा!
इलियम(Ilium): यह छोटा अंतड़ियों (small intestine)
का आखरी भाग है! बहुत पतली दुबली(thin) कम मात्रा में (less) रक्तवाहिकाए(blood vessels)होने प्रदेश है! आहार से न्यूट्रियंट्स(nutrients) यानी पोषण पदार्थो(last absorption of nutrients—amino acids—the end
products of protein digestion, fat-soluble vitamins--A, D, E, and K,
fatty acids--the end
products of fat digestion, cholesterol, sodium, potassium alcohol, and B12) आखारीबार रक्त में इधर ही मिलता है! इलियम(Ilium)में आखारीभाग (terminal
ileum) अधिक मुख्य है! विटामिन B12(vitamin B12) सूक्श्म रक्तवाकाओम(blood capillaries) में इधर ही मिलेगा! रक्त में नहीं मिलनेवाली घन
पदार्थो इलियम(Ilium) से केकम(cecum) में जाएगा! इस केकम(cecum) बड़ा अंतड़ियों(large intestine)का आरम्भ है! यह व्यर्थ पदार्थो में कीटाणु बहुत (This food residue is
full of bacteria) होता है!
पाम्क्रियास (Pancreas): इस पाम्क्रियास (Pancreas) एक बड़ा(large gland) ग्रंथि है!
उदर का एकदम (just down)नीचे, अन्दर की तरफ पीछे(just posterior) होता है! यह 6 इंच (inch) लंबा, और एक छोटा सर्प जैसा होता है! उस का शिर डुयोडेनम(duodenum) को, पुछ बाए अब्डामिनल abdominal cavity)छिद्र का दीवार का साथ मिला (enjoined with) हुआ होता है! यह एंजैम्स(enjymes) को छोटा अंतड़ियों(small intestine) में स्रावित(secretes) करता है! इस से पाचन chemical digestion) क्रिया संपूर्ण होता है!
बड़ा अंतड़ियों(large intestine): 2 ½
इंच(Inches) व्यास और 5 फूट(feet) लंबाई परिमाण में घना नाली यह बड़ा अंतड़ियों(large intestine) है! उदर का एकदम(just
below) नीचे छोटा अंतड़ियों(small intestine)का उप्पर घेरा हुआ होता है! पानी
को सोखदेगा (absorbs) यह बड़ा अंतड़ियों(large intestine)! इस में एक ही प्रकार का कीटाणुओं (symbiotic bacteria) होता है! यह व्यर्थो में छिपा हुआ और शेष पोषण पदार्थो यानी न्यूट्रियंट्स (nutrients) को ग्रहण(absorb) करेगा! मल यानी
व्यर्थ (Feces) को गुदानाली का (anal canal) माध्यम से बाहर जाएगा!
मूत्र विसर्जन व्यवस्था (Urinary
system--excreting of urine from our body):
गुर्दा यानी वृक्क(kidneys), मूत्रनाली(ureters), मूत्राशय(urinary bladder), और मूत्र मार्ग(urethra), इन सब को मिलके यूरिनरी व्यवस्था कहते है! रक्त को छान(fill) के व्यर्थो को निकालके
मूत्र को उत्पत्ति करनेवाली अंगों गुर्दों
(kidneys) है!
मूत्रनाली(ureters), मूत्राशय(urinary bladder), और मूत्र मार्ग(urethra),इन सब मिलके मूत्र मार्ग (urinary tract) कहते है! यह एक नलसाजी व्यवस्था(plumbing system) जैसा है! गुर्दों (kidneys) से मूत्र निकालके, रखके(store), उस का पश्चात उस मूत्र को बाहर भेजनेका
कार्य नलसाजी व्यवस्था करता है! इतनाही
नहीं,
अयांस (ions), pH, रक्तचाप (blood pressure), काल्षियं(calcium), और लाल रक्तकणों (red blood cells), इन सब का बीच में एक समस्थिति(maintains the homeo stasis) इस नलसाजी व्यवस्था(plumbing system) बनाके रखता
है!
यूरिनरी व्यवस्था:
गुर्दों (kidneys):
पेरिटोनियम (Peritoneum): दो आवरणों का साथ
बंद किया हुआ झिल्ली का थैली (membranous
sac) है! इन में से एक आवरण छिद्र
को कवर(cover) करके रखेगा! उसको पारियेटल(parietal
peritoneum) पेरिटोनियम कहते
है! दूसरा आवरण उस छिद्र का अन्दर उपस्थित हुआ अंग(organ) को कवर(cover) करके रखेगा! इस में स्वच्छ पानी आवरण(serous-serum) जैसा झिल्ली (membrane) होगा! इसको विसेरल पेरिटोनियम(visceral
peritoneum) कहते है!
गुर्दों (kidneys)सेम बीज जैसा होनेवाला अंग(organ) है! अब्डामिनल (abdominal cavity) छिद्र का अन्दर, पीछे(posterior), उस का पर्याप्त गुर्दों (kidneys) उपस्थित होता है! दाहिने तरफ (right side) का जिगर(liver) बड़ा होने का
हेतु दाहिने तरफ (right side) गुर्दा (kidney) बाए तरफ (left side) गुर्दा
(kidney) से थोडासा ऊँचाई (height) में उपस्थित
होता है! गुर्दों (kidneys) पेरिटोनियम (Peritoneum) का अन्दर की तरफ posterior to the peritoneum) पीछे होता है! ये पीछे पीठ का मांसपेशियों (muscles of the
back) स्पर्शन करता हुआ रहता है!
गुर्दा (kidney) एक अडिपोस (adipose) टिष्यू(tissue) आवरण से घेरा(encircled) हुआ होता है! उसका हेतु गुर्दा (kidney) अपना स्थान से हिलेगा नहीं और स्थानभ्रंश से रक्षण मिलेगा! गुर्दों (kidneys) मेटबालिक (metabolic wastes) व्यर्थो, अधिक हुआ आयानों(excess ions), रसायनों (chemicals) रक्त से
निकालके मूत्र बनाएगा!
मूत्रनाळ (Ureters):
ये गुर्दों
(kidneys) से मूत्राशय(urinary bladder) को मूत्र लेजानेवाली एक जोड़ा (10 to 12 inches long pair of
tubes) लंबा नालिया है! ये मेरुदंड का दोनों तरफ समानांतर(parallel to vertebral
column) उपस्थित है! मूत्रनाळ (Ureters)का कोणों (corners) मूत्राशय का
अंदर में प्रवेश (penetrate) करके वहा वाल्वो का (ureterovesical valves) माध्यम से बंद (close) कियाजाता है! ये वाल्वो मूत्राशय (urinary bladder) में गिराहुआ मूत्र को पुनः गुर्दों (kidneys) में वापस जाने नहीदेगा! मृदुल (smooth muscle tissue in the walls of the ureters) होने माम्सपेशीयो का गुरुत्वाकर्षण Gravity
and peristalsis) और पेरिस्टाल्सिस मूत्र को मूत्राशय में
(urinary bladder) गिरनेका तरीका में रखेगा! .
मूत्राशय(Urinary Bladder):
यह एक खाली थैली जैसा अंग(organ) है! इस में गिरा हुआ मूत्र रखदिया (store) जाएगा! यह
नाभी का नीचे (pelvis) होता है! 600 से 800 मिल्ली लीटर मूत्र रखने (store) करने के लिए मूत्राशय(Urinary
Bladder) का दीवारे लोचदार (flexibility) होता है! तब एक
संकेत (signal) मेरुदंड से
भेजा को भेजदिया जाएगा! तब मूत्रमार्ग (Urethra) और लिंग (penis) का माध्यम से शरीर का बाहर भेजदिया जाएगा!
मूत्रमार्ग (Urethra):
यह मूत्राशय(Urinary
Bladder) से मूत्र को शरीर का बाहर लेजानेवाले एक नाली है! स्त्रीयों
में 2 इंच(Inch) लंबा होता है! योनि(vaginal opening) का उप्पर, और भगशिशिनं अथवा भगाम्कुर(clitoris) का नीचे उपस्थित
होता है! पुरुषों में लिंग (penis) 8 से 10(inches) लंबा होगा! पुरुषों में इस मूत्रमार्ग (Urethra) पुरुष पुनरुत्पत्ति व्यवस्था में (reproductive system) भाग भी है! इस मूत्रमार्ग का माध्यम से वीर्य (sperm) पुरुष जनानांग यानी लिंग (penis) से स्त्री जनानांग लेजाना होता है!
गुर्दों (kidneys)--विवरण:
मूत्र का द्वारा जानेवाले व्यर्थो (potassium, sodium, calcium, magnesium,
phosphate, and chloride ions into urine) को गुर्दों नियंत्रित करके शरीर समस्थिति रखके रक्षा करेगा! रक्त का अन्दर का pH नियंत्रित (regulate the levels of hydrogen ions H+ and bicarbonate ions) करेगा! शरीर में पानी अधिक होने पर बाहर भेजना, और कम होने पर पानी को बाहर जाने नहीं
देना, उस पानी को
रक्त में पुनः भेजके (recirculate), उसका माध्यम से शरीर को शुष्कता (dehydration) से बचाता है! स पद्धति को ओस्मोलारिटी (osmolarity) कहते है! उस समय में मूत्र में अयानो और
व्यर्थो (highly concentrated urine) अधिक घाडा होता है! ऐसा मूत्र विसर्जन
में पानी को नियंत्रित करनेवाले हार्मोन का नाम ये.डि.एच्. (antidiuretic
hormone -ADH) है! इस ये.डि.एच्. (antidiuretic hormone -ADH) को भेजा का
अन्दर का उपस्थित हैपो थालामस (Hypothalamus) उत्पत्ति करेगा! वह पिट्यूटरी(posterior pitutary
gland) ग्रंथि का
अन्दर से मुक्त (release) होता है! गुर्दों (kidneys) रक्तचाप(Blood Pressure) का बढ़ावा और कम होना इन दोनों का समस्थिति (balance) को रक्षा करने के लिए सहायकारी
ह
छानने की क्रिया(Filtration):
हर एक गुर्दा
(kidney) में करीब करीब दस लाख(million) अति सूक्ष्म नेफ्रान (nephron) होते है! ये रक्त से मूत्र को छानके (filter) करके अलग करेगा! सूक्ष्म रक्तवाहिकायो(bundle of
capillaries) को ग्लोमरूलस(glomerulus) को एक काप्सूल (capsule) घेरा हुआ होता है! रक्त गुर्दों (kidneys) में आर्टेरियोल्स(Arterioles) लाते है! इन ग्लोमरूलस(glomerulus) और आर्टेरियोल्स(Arterioles) दोनों मिलके इस छानने (filter) में सहायता करेगा!
गुर्दों (kidneys)—हारमोनो (harmones):
गुर्दों(kidneys) स्वयं ही हार्मोनो (harmones) उत्पत्ति करेगा! और हार्मोनो (harmones) का साथ मिलके
काम करेगा! काल्सिट्ररियोल(Calcitriol) शरीर के लिए अत्यंत आवश्यक है! त्वचा (skin)
स्पर्श करनेवाले सूर्यकिरणों का अल्ट्रा वयलेट (radiation) किरणों से काल्सिट्ररियोल(Calcitriol)को गुर्दों(kidneys) स्वयं ही उत्पत्ति करेगा! काल्सिट्ररियोल(Calcitriol) और पारा
थैरायिड् हार्मोन (parathyroid
harmone) साथ मिलके काम करेगा! इसका वजह से रक्त का अवसर का मुताबिक़
काल्षियम (calcium ions) उत्पत्ति होगा! इसका वजह से छोटा अंतड़ी (small intestine) आहार से काल्षियम (calcium
ions) को लेके रक्त में देगा!
गुर्दों (kidneys) इ.पि.ओ. (Erythropoietin—EPO) हार्मोन(harmone) को उत्पत्ति करेगा! ये हार्मोन(harmone) लाल रक्त कणों का अवसर
प्रेरणा देगा! अपना सूक्ष्म रक्तवाहिकायो(capillaries) द्वारा प्रवाहित होनेवाला रक्त को निरंतर पर्यवेक्षण करेगा! जैसा आक्सिजेन (oxygen) लेवेल (level) कम होगा, तुरंत इ.पि.ओ. (Erythropoietin—EPO) हार्मोन(harmone) को उत्पत्ति करके रक्त में छोड देगा! आक्सिजेन (oxygen) लेवेल (level) कम होने को हैपोक्सिक(hypoxic) कहते है! तब लाल रक्तकणों का उत्पत्ति
ठीक होजायेगा!
लिम्फ व्यवस्था (Lymphatic
system = body defenses):
शरीर को शुभ्र और स्वच्छ रखने के लिए (to keep body neat and clean--body's
drainage system) लिंफ व्यवस्था का आवश्यकता है! इस सिस्टम
में बहुत सारा छोटा बड़ा वाहिकाए(vessels and small structures) और निर्माणाये होता है! इन को लिंफ
नोड्स(lymph nodes) कहते है! ये सब अधिक़तर इकट्ठा(collect/accumulate)
हुआ द्रवों को पुनः रक्त में मिलादेगा! उन द्रवों का प्रसारण में ये लिंफनोड्स(lymph nodes) रखना सिपाही(protective soldiers) जैसा काम
करेगा! ओ द्रवों इन लिंफनोड्स(lymph
nodes) का उप्पर प्रवाहित(flows) करेगा! उस समय में छना हुआ(get filtered) होता है! इन लिंफनोड्स(lymph
nodes) में उपस्थित हुआ सफ़ेद रक्तकणों
यानी लिंफोसैट्स (lymphocytes) हानिकर कीटाणु को नाश करेगा! रक्त का साथ प्रवाहित (circulate) होने लिंफ में भी इन लिंफनोड्स(lymph
nodes)को मिलायाजाता है!
यांटीबाडीस(Antibodies):
यांटीबाडीस(Antibodies) को लिम्फ व्यवस्था (Lymphatic system) उत्पत्ति करेगा! ये यांटीबाडीस(Antibodies) विशेष प्रोटीन(proteens) है! कोईभी
शारीरेतर(foreign substance) पदार्थो शरीर में प्रवेश करने से इन यांटीबाडीस(Antibodies) उन का साथ युद्ध करने के लिए लिंफ सिस्टम उत्पत्ति करेगा!
यांटीबाडीस(Antibodies) को इम्युनोग्लोबिंस (immunoglobulins) कहते है! ये
विशेष पोषणपदार्थों(proteins) है! इन को शरीर ही उत्पत्ति करेगा! ये शारीरेतर(foreign
substance) पदार्थो का
व्यतिरेक(against) युद्ध करनेके सहायता करेगा! शारीरेतर (foreign
substance) पदार्थो को
यांटिजेंस(antigens) कहते है! शारीरेतर (foreign substance) पदार्थ शरीर में प्रवेश करने से शरीर रक्षण व्यवस्था (immune system) को प्रेरण मिलके यांटीबाडीस(Antibodies) को उत्पत्ति करेगा! यह शरीर रक्षण
व्यवस्था (immune system) परमात्मा का देन(natural defense system of the body) है! ये यांटीबाडीस(Antibodies) यांटिजेंस(antigens) का उप्पर और नीचे जम के लडेगा और उन को
निर्वीर्य करेगा!(The antibodies attach, or bind, themselves to the antigen and inactivate
it.)
जब यांटिजेंस(antigens) विशेष लिंफोसैट्स (lymphocytes) को प्रेरेपण करेगा, तब यांटीबाडीस(Antibodies) का उत्पत्ति प्रारंभ होजायेगा! इन लिंफोसैट्स (lymphocytes) को बी.कणों (B
cells) कहते है! यांटीबाडीस(Antibodies) का उत्पत्ति होने समाया में लिंफनोड्स(lymph
nodes) फूलता(swell) है! बगल (armpits) में, कमर (groin) में, कंठ(neck) में स्पर्शन करके
इस फूलता(swell) ज्ञात करसकता है! बाए तरफ पेट (abdomen) का उपस्थित हुआ
प्लीह(spleen) में भी इन यांटीबाडीस(Antibodies) का अधिक उत्पत्ति होता है!
जनन तंत्र
महिलाएं का (Female Reproductive System):
अंडाशय(ovaries), गर्भाशय नाळों(fallopian tubes), गर्भाशय(uterus), योनि(vagina), भगं(vulva),क्षीरग्रंथियों(mammary glands),
स्थन(breasts), और गामेट्स (gametes), ये सब महिलाएं का जाननतंत्र व्यवस्था का (Female Reproductive System) अंगों है! लिंगभेद
हारमोन(sex harmones) उत्पत्ति और बटवारा (transportation) में इन सारे अंगों काम करते है! मानवजाति पुनरुत्पत्ति
के सहायता करनेवाले लिंगभेद कणों (sex cells) को गामेट्स (gametes) कहते है! ये गामेट्स
(gametes) अंडे (eggs-sex cells) है! इन्ही को ओवा(ova) कहते
है! पुनरुत्पत्ति के सहायता करनेवाले पुरष कण (Male gametes) को वीर्य(sperm)अथवा शुक्ल कहते है! पुनरुत्पत्ति के
सहायता करनेवाले स्त्री कण(female gametes) को ओवा(ova) अथवा
शोणित कहते है!
अंडाशय (Ovaries):
इन अंडाशय(Ovaries) बादाम(almonds) परिमाण में और रूप
में होनेवाला छोटा ग्रंथियों (small glands) है! पेल्विस(pelvic body cavity) छिद्र का दोनों तरफ
गर्भाशय (uterus) का बाजू में होता है!
ईस्ट्रोजें(estrogen) और प्रोजेस्टोरें (progesterone) दोनों सेक्स हारमोंस(harmones)
को इन अंडाशय(Ovaries) उत्पत्ति करेगा! स्त्री पुष्पवती (puberty) होने का पश्चात ये दोनों सेक्स हारमोंस(harmones)
पुष्पित होगा! हर मॉस कन्या में इन ओवा(ova- eggs) पुष्पित होगा! उन अंडे(ova- eggs) अंडाशय(Ovaries) से प्रयाण करके गर्भाशयनाळ(fallopian tubes) में पहुंचेगा! गर्भाशय
(uterus)
पहुंचने के पहले ही उस गर्भाशयनाळ(fallopian
tubes) पहुंचने के पहले ही उपजाऊ
(fertilize) होसकता है!
गर्भाशयनाळ(fallopian tubes):
ये एक जोड़ा
(pair) मांसपेशी नालिया (muscular
tubes) है! गर्भाशयनाळिया(fallopian tubes) गर्भाशय (uterus) का दोनों
तरफ कोणों(corners) से आरंभ
करके आखरी (edge)तक होंगे! ये एक कीप(funnel-shaped) आकार में होनेवाली निर्माण है! इंफुंडिबुलुम(infundibulum) और ओवा(ova- eggs) इन दोनों को गर्भाशय (uterus) पहुंचाना गर्भाशयनाळिया(fallopian tubes) का काम है!
गर्भाशय (uterus):
यह गर्भाशय (uterus)एक
खाली मांसपेशी मोती आकार में मूत्राशय (Urinary Bladder) का अन्दर होनेवाली
अंग है! उप्पर गर्भाशयनाळिया(fallopian
tubes)और नीचे सर्विक्स (cervix) का माध्यम से योनि(vagina) इन दोनों का
साथ इस गर्भाशय(Uterus) जुडा हुआ होता है! गर्भस्थ समय में विकस्मित होने
भ्रूण(developing fetus) को आश्रय देनेवाला इस
गर्भाशय(uterus) ही है! गर्भाशय(uterus)
का अन्दर का आवरण(layer) को एंडोमेट्रियम्(endometrium) कहते है! गर्भा का प्राथमिक
स्थिति को भ्रूण कहते है! शशु जन्म का समय में इस गर्भाशय(uterus)
का अंतरंगी(visceral muscles) मांसपेसियों संकुचित
(contract) होके शिशु नाली(birth canal) का माध्यम से भ्रूण(fetus)
को बाहर की तरफ धक्का(push) देगा!
योनि (vagina):
योनि
(vagina)एक एलास्टिक(elastic, muscular) मांसपेशी नाली है! यह योनि
(vagina) गर्भाशय (uterus)का सर्विक्स
(cervix) को शरीर का बाह्य से संपर्क करादेगा! यह योनि
गर्भाशय (uterus)का
नीचे और मूत्राशय (Urinary Bladder) का अन्दर की तरफ होता है! यह
पुरुष का लिंगा (penis) का प्रतीक है! यह एक पात्र (receptacle) है! संभोग समय में पुरुष वीर्य (sperm) को गर्भाशय (uterus) और गर्भाशयनाळिया(fallopian tubes) को लेजाता है!
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