kriyayogasadhana--जातकदोष निवारिणी क्रियाये
जातक दोष निवारिणी
क्रियाये:
सहस्रार(रवि)
कुम्भ
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आज्ञा(बुध)
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मीन
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धनुष
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विशुद्ध(शुक्र)
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मकर
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तुल
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अनाहत (चंद्र)
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वृश्चिक
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सिंह
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मणिपुर(कुजा)
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कन्या
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मिथुन
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स्वाधिष्ठान(गुरु)
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कर्काटक
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मेष
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मूलाधार(शनि)
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वृषभ
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सीधा वज्रासन, पद्मासन अथवा सुखासन मे ज्ञानमुद्रा
लगाके बैठिए! अनामिका अंगुलि के अग्रभाग को अंगुष्ठ के आग्रभाग से लगाए और दबाए।
शेष अंगुलिया सीधी रखें। कूटस्थ मे दृष्टि रखे! मन को जिस चक्र मे ध्यान कर रहे है
उस चक्र मे रखिए और उस चक्र पर तनाव डालिए! पूरब दिशा अथवा उत्तर दिशा की और मुँह
करके बैठिए! शरीर को थोडा ढीला रखीए! इस क्रिया खेचरी मुद्रा में कीजिए!
मूलाधार में 4 बार,
स्वाधिष्ठान में 6 बार, मणिपुर में 10 बार, अनहता में 12 बार, विशुद्ध में 16 बार, आज्ञा नेगटिव में 18 बार, आज्ञा पाजिटिव में 20 बार, अन्तःकुम्भक (Fission) और बाह्याकुम्भक(Fusion) कीजिए!
1) कालसर्पदोष:--
इस दोष का कारण मनुष्य को विद्या, आर्थिक और
विद्यादि विषयों में समस्यों आता है!
अब सहस्रार में लिंगामुद्रा में ‘राम् ‘ बीजाक्षर 108 बार उच्चारण कीजिये! ए
क्रिया सुबह और शाम खास करके प्रातः और सायं संध्याकाल दोनों समय में 41 दिन करनेसे कालसर्पदोष
जरूर निवारण होगी!
2)
गुरुदोष:
इस दोष का कारण मनुष्य को विद्या और विवाहादि विषयों में समस्यों आता है!
अब स्वाधिष्ठान चक्र में तनाव(Tense)
डालना है! वरुणमुद्रा में ‘वम् ‘ बीजाक्षर 108 बार उच्चारण कीजिये! ए
क्रिया सुबह और शाम खास करके प्रातः और सायं संध्याकाल दोनों समय में 41 दिन करनेसे गुरु दोष
जरूर निवारण होगी!
3) शुक्र दोष:
इस दोष का कारण मनुष्य को संतान, कुटुम्ब में कलहों और वीर्यक्षीणता इत्यादि
विषयों में समस्यों आता है!
अब विशुद्ध चक्र में तनाव(Tense) डालना है! आकाश मुद्रा में ‘हम् ‘ बीजाक्षर 108 बार उच्चारण कीजिये! ए
क्रिया सुबह और शाम खास करके प्रातः और सायं संध्याकाल दोनों समय में 41 दिन करनेसे शुक्र दोष
जरूर निवारण होगी!
4) चंद्र दोष
इस दोष का कारण मनुष्य को मानसिक, व्यापार और उद्योग इत्यादि विषयों में समस्यों आता है!
अब अनाहत चक्र में तनाव(Tense) डालना है! वायु मुद्रा में ‘यम् ‘ बीजाक्षर 108 बार उच्चारण कीजिये! ए
क्रिया सुबह और शाम खास करके प्रातः और सायं संध्याकाल दोनों समय में 41 दिन करनेसे चंद्र दोष
जरूर निवारण होगी!
5) शनि दोष
इस दोष का कारण मनुष्य को दरिद्रता, कुटुंब में कलहों, विविध रूप में कष्टों, मानहानि, और व्यवहार विषयों में
समस्यों आता है!
अब मूलाधार चक्र में तनाव(Tense) डालना है! पृथ्वी मुद्रा में ‘लम् ‘ बीजाक्षर 108 बार उच्चारण कीजिये! ए
क्रिया सुबह और शाम खास करके प्रातः और सायं संध्याकाल दोनों समय में 41 दिन करनेसे शनि दोष
जरूर निवारण होगी!
6)कुज दोष:
इस दोष का कारण मनुष्य को शत्रुहानी, स्वयंकृतापराथ समस्यों
आता है!
अब मणिपुर चक्र में तनाव(Tense) डालना है! अग्नि मुद्रा में ‘राम् ‘ बीजाक्षर 108 बार उच्चारण कीजिये! ए
क्रिया सुबह और शाम खास करके प्रातः और सायं संध्याकाल दोनों समय में 41 दिन करनेसे कुज दोष
जरूर निवारण होगी!
7) रवि दोष
इस दोष का कारण मनुष्य को विद्या, आध्यात्मिक्शून्यता अथवा न्यूनता और आर्थिक
इत्यादि विषयों में समस्यों आता है!
अब सहस्रार चक्र में तनाव(Tense) डालना है! लिंग मुद्रा में ‘राम् ‘ बीजाक्षर 108 बार उच्चारण कीजिये! ए
क्रिया सुबह और शाम खास करके प्रातः और सायं संध्याकाल दोनों समय में 41 दिन करनेसे रवि दोष
जरूर निवारण होगी!
8) बुध दोष
इस दोष का कारण मनुष्य को विद्या, वाचालता का वजह से और व्यापार इत्यादि विषयों में समस्यों आता है!
अब आज्ञा पाजिटिव चक्र में तनाव(Tense)
डालना है! ज्ञान मुद्रा में ॐ ‘ बीजाक्षर 108 बार उच्चारण कीजिये! ए
क्रिया सुबह और शाम खास करके प्रातः और सायं संध्याकाल दोनों समय में 41 दिन करनेसे बुध दोष
जरूर निवारण होगी!
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