रथसप्तमी:
रथं का अर्थ इस भौतिक शरीर
है! इस शरीर में मूलाधार, स्वाधिष्ठान, मणिपुर, अनाहत, विशुद्ध, आज्ञा, और सहस्रार
चक्र इति सप्त चक्रों है! क्रियायोग करो, कुण्डलिनी शक्ति को जागृति करो! जागृति
हुआ कुण्डलिनी शक्ति को इन सप्त चक्रों से दिशा निर्देश करके सहस्रार चक्र में भेज
दो, मुक्ति प्राप्ति करो! इसी को रथसप्तमी कहते है!
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