49 Maruts in Hindi
महेश्वर सूत्रोँ
अइउण् ऋळुक् एओय् ऐओच् हयवराट् लण् ङ्यमण्णनम्
जबगाडदस् खपचठदव् कपय्
इन शब्दों का हेतु अच्, हल्, और संयुक्ताक्षर बने है!
सूक्ष्म प्राणशक्ति में ज्ञान और शक्ति दोनों है! इस का मूल सहस्रार में है! 49 मुख्य उपवायुवों का मूल सूक्ष्म प्राणशक्ति है!
हर एक उपवायु को अपना अपना विशेष विधियों है! आज्ञा चक्र द्वारा विशुद्ध, अनाहत, मणिपुर, स्वाधिष्ठान और मूलाधार चक्रों में बांटा हुआ है! इन चक्रों का माध्यम से नस केन्द्रों और उन का माध्यम से विविध अवयवों को बांटा हुआ है!
½ स्थूल वायु = समिष्टि स्थूल व्यान वायु
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1/8 स्थूल वायु +1/8 स्थूल आकाश = स्थूल समिष्टि सामान वायु
1/8 स्थूल वायु +1/8 स्थूल अग्नि = स्थूल समिष्टि उदान वायु
1/8 स्थूल वायु +1/8 स्थूल जल = स्थूल समिष्टि प्राण वायु
1/8 स्थूल वायु +1/8 स्थूल पृथ्वी = स्थूल समिष्टि अपान वायु
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पंच प्राण
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स्थान
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प्राण (विशुद्ध)
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गलेमें,
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अपान(मूलाधार)
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गुदस्थान
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व्यान(आनाहत)
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सर्वशारीर
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उदान
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पिट्यूटरी
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सामान (मणिपुर)
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नाभि
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उपवायु
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स्थान
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नागा
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गलेमें(डकार आनेका हेतु)
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कूर्म
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पलकों को चलाने हेतु
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कृकर
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छींक आनेका हेतु
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देवदत्त
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उबासी हेतु
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धनञ्जय
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स्थूलशरीर पतनानंतर 10 मिनट तक शारीर को गरम रखने हेतु.
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परमपूजनीय परमहंस श्री श्री योगानान्द स्वामीजी का करचरणकृतं श्रीमद्भगवद्गीता में योगीराज श्री श्री लाहिरी महाशय प्रसादीत चक्रों का चित्रों में इन उप्पर दियाहुआ मरुतों का बारे में प्रास्तावन किया! इस चित्र में लिपि बंगाली भाषा में है! उन को यथा तथा मैंने नीचे दिया हु! अगर इन में कुछ दोष होने से मुझे क्षमा कीजियेगा क्योंकि वों मेरा अवगाहन में कमी है!
मरुतों प्रधान में साथ है, वे
1) आव्हा, 2) प्रवाह, 3) विवह, 4) परावः, 5)उद्वाह, 6)संवह और 7) परिवाह(मरीचि)
49 उपवायुवों को ऐसा उप्पर दिया हुआ साथ प्रधान मरुतों में विभाजित किया है!
ये मरुतों मनुष्य का शारीर का अंदर और बाहर ब्रह्माण्ड में भी है!इसीलिए शारीर का और ब्रह्माण्ड का सम्बन्ध होता है! ऐसा ही मन और शारीर का भी सम्बन्ध होता है!
ब्रह्मपदार्थ ही ऐसा 49 उपवायुवों का रूप में व्यक्त होगया! इस ज्ञान का कमी का हेतु वर्त्तमान अस्तव्यस्त और आयोमय स्थिति! ए ज्ञान होने से कोईभी व्याकुलता नहीं होतीहै!
1) प्रवह श्वासिनी टाना महाबल,
2) परिवह विहग उड्डीयान ऋतवाह
3) परिवह सप्तस्वर शब्दस्थिति
4) परिवह प्राण निमीळन बहिर्गमन त्रिशक्र
5) परावह मातरिश्वा अणु सत्यजित
6) परावह जगत् प्राण ब्रह्मऋत
7) परावह पवमानक्रियार् परावस्थ ऋतजित्
8) परावह नवप्राण प्राणरूपो चित्वहित् धाता
9) परावह हमि मोक्ष अस्तिमित्र
10) परावह सारङ नित्यपतिवास
11) परावह स्तंभन सर्वव्यापिमित
12) प्रवह श्वसनश्वास प्रश्वासादि ईंद्र
13) प्रवह सदागति गमनादौगति
14) प्रवह प्रवदश्यस्पर्शशक्तिअद्रुश्यगति
15) प्रवह गंधवाह अनुष्ण अशीत ईदृक्ष
16) प्रवह वाह चलन वृतिन
17) प्रवह वेगिकंतभोगकाम
18) उद्वह व्या न जृंभण आकुंचन प्रसारण द्विशक्र
19) आवह गंधवह गंधेर् अणुके आने त्रिशक्र
20) आवह अशुग शैघ्रं अदृक्ष
21) आवह मारुत भित्तरेर् वायु अपात्
22) आवह पवन पवन अपराजित
23) आवह फणिप्रिय ऊर्ध्वगति धृव
24) आवह निश्वासक त्वगिन्द्रिय व्यापि युतिर्ग
25) आवह उदान उद्गीरण सकृत्
26) परिवह अनिल् अनुष्ण अशीत अक्षय
27) परिवह समिरण पश्चिमेर् वायु सुसेन
28) परिवह अनुष्ण शीतस्पर्श पसदीक्ष
29) परिवह सुखास सुखदा देवदेव
30) विवह वातव्यक् संभव
31) विवह प्रणति धारणा अनमित्र
32) विवह प्रकंपन कंपन भीम
33) विवह समान पोषण एकज्योति
34) उद्वह मरुत उत्तरदिगेर् वायुसेनाजित्
35) उद्वह नाभस्थान अपंकज अभियुक्त
36) उद्वह धुनिध्वज अदिमित
37) उद्वह कंपना सेचना दर्ता
38) उद्वह वासदेहव्यापि विधारण
39) उद्वह मृगवाहन विद्युत् वरण्
40) संवह चंचल उत्क्षेपण द्विज्योति
41) संवह पृषतांपति बलंमहाबल
42) संवह अपान क्षुधाकर अधोगमन एकशक्र
43) विवह स्पर्शन स्पर्श विराट्
44) विवह वात तिर्यक् गमन पुराणह्य
45) विवह प्रभंजन मन पृथक् सुमित
46) संवह अजगत् प्राण जन्म मरण अदृश्य
47) संवह आवक् फेला पुरिमित्र
48) संवह समिर प्रातःकालेर् वायुसङमित
49) संवह प्रकंपन गंधेर अणुके आने मितासन
विभाजन
अ)
1) प्रवह श्वासिनी टाना महाबल,
12) प्रवह श्वसनश्वास प्रश्वासादि ईंद्र
13)प्रवह सदागति गमनादौगति
14) प्रवह पृवदश्यस्पर्शशक्तिअद्रुश्यगति
15)प्रवह गंधवाह अनुष्ण अशीत ईदृक्ष
16) प्रवह वाह चलन वृतिन
17) प्रवह वेगिकंतभोगकाम
आ)
2) परिवह विहग उड्डीयान ऋतवाह
3) परिवह सप्तस्वर शब्दस्थिति
4)परिवह प्राण निमीळन बहिर्गमन त्रिशक्र
26) परिवह अनिल् अनुष्ण अशीत अक्षय
27) परिवह समिरणपश्चिमेर् वायु सुसेन
28) परिवह अनुष्ण शीतस्पर्श पसदीक्ष
29)परिवह सुखास सुखदा देवदेव
इ)
5) परावह मातरिश्वा अणु सत्यजित
6) परावह जगत् प्राण ब्रह्मऋत
7) परावह पवमानक्रियार् परावस्थ ऋतजित्
8) परावह नवप्राण प्राणरूपो चित्वहित् धाता
9) परावह हमि मोक्ष अस्तिमित्र
10)परावह सारङ नित्यपतिवास
11) परावह स्तंभन सर्वव्यापिमित
ई)
18) उद्वह व्या न जृंभण आकुंचन प्रसारण द्विशक्र
34) उद्वह मरुत उत्तरदिगेर् वायुसेनाजित्
35) उद्वह नभस्थान अपंकज अभियुक्त
36) उद्वह धुनिध्वज अदिमित
37) उद्वह कंपना सेचना दर्ता
38) उद्वह वासदेहव्यापि विधारण
39) उद्वह मृगवाहन विद्युत् वरण्
उ)
19)आवह गंधवह गंधेर् अणुके आने त्रिशक्र
20)आवह अशुग शैघ्रं अदृक्ष
21) आवह मारुत भित्तरेर् वायु अपात्
22) आवह पवन पवन अपराजित
23)आवह फणिप्रिय ऊर्ध्वगति धृव
24) आवह निश्वासक त्वगिन्द्रिय व्यापि युतिर्ग
25)आवह उदान उद्गीरण सकृत्
ऊ)
30) विवह वातिव्यक् संभव
31) विवह प्रणति धारणा अनमित्र
32) विवह प्रकंपन कंपन भीम
33) विवह समान पोषण एकज्योति
43) विवह स्पर्शन स्पर्श विराट्
44) विवह वात तिर्यक् गमन पुराणह्य
45) विवह प्रभंजन मन पृथक् सुमित
ऋ)
40) संवह चंचल उत्क्षेपण द्विज्योति
41)संवह पृषतांपति बलंमहाबल
42)संवह अपान क्षुधाकर अधोगमन एकशक्र
46)संवह अजगत् प्राण जन्म मरण अदृश्य
47) संवह आवक् फेला पुरिमित्र
48) संवह समिर प्रातःकालेर् वायुसङमित
49) संवह प्रकंपन गंधेर अणुके आने मितासन
हर चक्र में विविध अक्षरों होते है! हर चक्रों में जो अक्षरों होते है ए सारे अक्षरों सहस्रार चक्र में होते है यानी सब अक्षरों का मूलस्थान सहस्रार्चाक्र है!
इन चक्रों का संबंधित अक्षरों और वायु नीचे दिया है!
A) आज्ञा
1) प्रवह श्वासिनी टाना महाबल,
B) विशुद्ध
2) परिवह विहग उड्डीयान ऋतवाह
3) परिवह सप्तस्वर शब्दस्थिति
4) परिवह प्राण निमीळन बहिर्गमन त्रिशक्र
5) परावह मातरिश्वा अणु सत्यजित
6) परावह जगत् प्राण ब्रह्मऋत
7) परावह पवमानक्रियार् परावस्थ ऋतजित्
8) परावह नवप्राण प्राणरूपो चित्वहित् धाता
9) परावह हमि मोक्ष अस्तिमित्र
10) परावह सारङ नित्यपतिवास
11) परावह स्तंभन सर्वव्यापिमित
12) प्रवह श्वसनश्वास प्रश्वासादि ईंद्र
13) प्रवह सदागति गमनादौगति
14) प्रवह प्रवदश्यस्पर्शशक्तिअद्रुश्यगति
15) प्रवह गंधवाह अनुष्ण अशीत ईदृक्ष
16) प्रवह वाह चलनवृतिन
17) प्रवह वेगिकंतभोगकाम
C) आनाहत
18) उद्वह व्यान जृंभण आकुंचन प्रसारण द्विशक्र
19) आवह गंधवह गंधेर् अणुके आने त्रिशक्र
20) आवह अशुग शैघ्रं अदृक्ष
21) आवह मारुत भित्तरेर् वायु अपात्
22)आवह पवन पवन अपराजित
23) आवह फणिप्रिय ऊर्ध्वगति धृव
24) आवह निश्वासक त्वगिन्द्रिय व्यापि युतिर्ग
25) आवह उदान उद्गीरण सकृत्
26)परिवह अनिल् अनुष्ण अशीत अक्षय
27) परिवह समिरण पश्चिमेर् वायु सुसेन
28) परिवह अनुष्ण शीतस्पर्श पसदीक्ष
29) परिवह सुखास सुखदा देवदेव
D) मणिपुर
30) विवह वातिव्यक् संभव
31) विवह प्रणति धारणा अनमित्र
32) विवह प्रकंपन कंपन भीम
33) विवह समान पोषण एकज्योति
34) उद्वह मरुत उत्तरदिगेर् वायुसेनाजित्
35) उद्वह नभस्थान अपंकज अभियुक्त
36) उद्वह धुनिध्वज अदिमित
37) उद्वह कंपना सेचना दर्ता
38) उद्वह वासदेहव्यापि विधारण
39) उद्वह मृगवाहन विद्युत् वरण्
E) स्वाधिष्ठान
40) संवह चंचल उत्क्षेपण द्विज्योति
41) संवह पृषतांपति बलंमहाबल
42) संवह अपान क्षुधाकर अधोगमन एकशक्र
43) विवह स्पर्शन स्पर्श विराट्
44) विवह वात तिर्यक् गमन पुराणह्य
45) विवह प्रभंजन मन पृथक् सुमित
F) मूलाधार
46) संवह अजगत् प्राण जन्म मरण अदृश्य
47) संवह आवक् फेला पुरिमित्र
48) संवह समिर प्रातःकालेर् वायुसङमित
49)संवह प्रकंपन गंधेर अणुके आने मितासन
Super
ReplyDeleteअति सुन्दर और ज्ञानवर्धक लेख।।
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