शरीर विज्ञानशास्त्र (Anatomy) — क्रियायोग—part 3



योनि (vagina):
योनि (vagina)एक एलास्टिक(elastic, muscular) मांसपेशी नाली है! यह योनि (vagina) गर्भाशय (uterus)का सर्विक्स (cervix) को शरीर का बाह्य से संपर्क करादेगा! यह योनि गर्भाशय (uterus)का नीचे और मूत्राशय (Urinary Bladder) का अन्दर की तरफ होता है! यह पुरुष का लिंगा (penis) का प्रतीक है! यह एक पात्र (receptacle) है! संभोग समय में पुरुष वीर्य (sperm) को गर्भाशय (uterus) और गर्भाशयनाळिया(fallopian tubes) को लेजाता है!  युरेत्र(Uretra)का बाहर कोणों, योनि(yoni), मोंसबिस(mons pubis), लेबियामेजोरा(labia majora), केशरहित लिबिया  (hair less) मैनोरा(labia minora), और भग शिशिन अथवा भगाम्कुर(clitoris), इन सब मिलके भगं (vulva) कहते है! मोंसबिस(mons pubis), और लेबियामेजोरा(labia majora), इन दोनों में केश होता है! ये दोनों, और केशरहित लिबिया मैनोरा (hairless) (labia minora), इन दोनों भगं (vulva) को मुलायम(softness)बनाएगा!
लिबिया मैनोरा (hairless) (labia minora)का उप्पर सीदा और लंबा (straight & correct) होने टिष्यू(Tissue) भगशिशिनम् अथवा भगाम्कुरम (Clitoris) कहते है! इस में बहुत सारे नरों या नाड़ियां होते है! ये सम्भोगसंतोष या आनंद (for sensing sexual pleasure) को प्रकट करेगा!   
स्तन (Breasts and Mammary Glands) और क्षीर ग्रंधियो:
स्तन (Breasts and Mammary Glands) और क्षीर ग्रंधियो छाती(thoracic region) यानी अनाहत की दोनों तरफ होते है! प्रेरण मिलने पर स्तनाग्र(paps) से क्षीर ग्रंधियो क्षीर उत्पत्ति करके बाहर भेजेगा!


जननतंत्र वृत्त(Reproductive Cycle):
ओवं(ovum) उत्पत्ति होना, उस उपजाऊ हुआ(fertilized ovum) अंडा को गर्भाशय (uterus) ने गर्भधारण के लिए सज्जित होके लेना, ये सब एक पद्धति का मुताबिक़ होना इन सब को जननतंत्र वृत्त(Reproductive Cycle) कहते है! ओवं(ovum) उत्पत्ति होने से भी, वह उपजाऊ (fertilize) नहीं होने से तब जननतंत्र वृत्त(Reproductive Cycle) उसको मासिकधर्म (menses) द्वारा बाहर भेजदेगा! इस जननतंत्र वृत्त(Reproductive Cycle) के लिए औसत (average)28 दिन लगसकता है! इस परिणिति हुआ(mature ovum) ओवं को अंडाशय(ovaries) उत्पत्ति करने को ओवुलेषन(ovulation) कहते है! इस के लिएसाधारण रूप में 14 दिन लगते है! हर एक मॉस में ये परिणिति हुआ(mature ovum) ओवं जितना भी उत्पत्ति होनेसे भी, हर एक जननतंत्र यानी पुनरुत्पत्ति वृत्त (Reproductive Cycle) में एक ही परिणिति हुआ(mature ovum) ओवं बाहर निकलेगा!  


उपजाऊ बनाने के विधि (Fertilization):
परिणिति हुआ अंडा(mature ovum) अंडाशय (ovaries) से निकालने का पश्चात, उस अंडा गर्भाशयनाळ (fallopian tube) से एक सप्ताह प्रयाण करके गर्भाशय(uterus) में जाएगा पुरुष शुक्ल(sperm) इस अंडा को तोड़के (penetrate--break open) उस अंडा का अन्दर जासकने से तब वह अंडा उपजाऊ हुआ अंडा(fertilized zygote) में परिवर्तन (transform) होजायेगा! उस अंडा(fertilized zygote) 14 दिन का पश्चात भ्रूण(embryo) में परिवर्तन (transform) होजायेगा!  तब से गर्भाशय दीवारों में (uterine wall) उस भ्रूण शुशु का रूप में परिवर्तन क्रमशः होगा! 

मासिकधर्म (Menstruation):

परिणिति हुआ अंडा(mature ovum) गर्भाशयनाळ (fallopian tube) द्वाराप्रयाण करने समय में गर्भाशय(uterus) अंदर का एंडोमेट्रियम(endometrium)आवरण (layer) क्रमशः बढेगा यानी विकास होगा! भ्रूण या शिशु का आश्रय देनेको तैयार बैठेगा!


गर्भधारण(Pregnancy):

अंडा अगर पुरुष वीर्य(sperm cell)कण का साथ फलादीकरण होकर उपजाऊ हुआ अंडा(fertilized zygote) में परिवर्तन (transform) होके भ्रूण में  परपरिवर्तन (transform) होने से, तब उस भ्रूण एंडोमेट्रियम(endometrium)आवरण (layer) में अपना स्थान(implant itself) स्थिर बनाएगा! तब उस शिशु को अमिनियाटिक(amniotic cavity) छिद्र, नाभि(umbilical cord), और गर्भनाळ (placenta) बनेगा! प्रथम 8 (first 8weeks) उस शिशु में करीब करीब (approximately) सारे आवरणों (tissues), और अंगों (organs) आजायेगा!  9 से 38 सप्ताहों(fetal period)का वृद्धि समय में शिशु बढ़ा और संक्लिष्ट(big&complex) बनाजायेगा!    

पुरुष जननतंत्र व्यवस्था(male Reproductive System):

उत्पत्ति, स्थितिवंत होना, वीर्यकणों (sperm)का रवाणा, रक्षण द्रव (protective fluid--semen) का रवाणा, स्त्री जननतंत्र मार्ग(female reproductive tract) में वीर्यकणों (sperm) को संभोगसमय(during intercourse) में छोड़ना, पुरुष जाति वर्ग हारमोंस को (produce male sex harmones) उत्पत्ति करना, ये सब कार्यो पुरुष जननतंत्र व्यवस्था(male Reproductive System) का बाध्यता है!

लिंग (penis), वीर्यकोष(scrotum), और अंडकोष(testicles) इन पुरुष जननतंत्र व्यवस्था(male Reproductive System) सब शरीर का बाहर ही होता है!
लिंग (penis): यह संभोग में उपयोग होता है! इस में तीन भाग होता है! 1) मूल (root): यह अब्डमन का साथ जुडा हुआ होता है! 2)डंडा(body, or shaft), और 3) मुण्डा(glans) –यह लिंग का अंत में गोळ हिस्सा मुण्डा है! यह ढीला त्वचा(skin) से कवर (cover) किया होता है! इस को खतना या भग शिश्न हटाने का कार्य (circumcision) करके कुछ लोग निकालदेता है! 
लिंग का चारों ओर तीन गोमासा आवरणों (round layers) में उपस्थित सूक्ष्म छिद्रों में रक्त इकट्ठा(accumulate) होकर वह प्रबल (स्ट्रोंग & इरेक्ट) और सीदा होता है! उस समय में मूत्रमार्ग (Urethra) से आनेवाला मूत्र बंद होजायेगा! संभोग का अंत(orgasm) में केवल वीर्य(semen) ही बाहर आयेगा!
वीर्यकोष(scrotum):
वीर्यकोष(scrotum) में अंडकोष(testes), और रक्तावाहिकाए(blood vessels) होता है! वीर्य(sperm)उत्पत्ति अवसर निमित्त शीतोष्णस्थिति(to maintain required temperature for sperm production) को संभालने के लिए सहायता करेगा वीर्यकोष (scrotum)!
अंडकोष(Testicles):
अंडकोष(Testicles) वीर्यकोष(scrotum)में होता है! टेस्टोस्टिरान(testosterone) नाम का विशेष पुरुष सेक्स हारमोन(male sex harmone), और वीर्य(sperm) उत्पत्ति के लिए इस   अंडकोष(Testicles) सहायता करेगा! अंडकोष(Testicles) में उपस्थित सेमिनिफेरस (seminiferous tubules) नालिया इस वीर्य(sperm) उत्पत्ति के लिए सहायता करेगा!

व्यर्थो का बहिष्करण(Excretory System) व्यवस्था:  
शरीर का अन्दर का व्यर्थो यानी यूरिया, अम्मोनिया, यूरिक आम्ल (urea, ammonia, uric acid, and excess volume of extracellular fluids) और अधिक वाल्यूम से जमा हुआ कणों का व्यर्थो, इन सब का बहिष्करण(Excretion), अयानों का समतुल्यता संभालना (balancing of ions), pH और परासरणी (maintenance of pH  and osmotic concentration) एकाग्रता को संभालना, ये सब बहिष्करण(Excretory System) व्यवस्था का कार्यों है!
व्यर्थो का बहिष्करण(Excretory System) व्यवस्था में भाग लेनेवाला और अंगों:
गुर्दो(Kidneys):
हर एक गुर्दा में करीब दस लाख अत्यंत सूक्ष्म नेफ्रांस होंगे! ये नेफ्रांस (microscopic nephrons) रक्त को छानेगा(Filter)! हर एक नेफ्रान में ग्लोमेरूलुस (glomerulus) नाम का सूक्ष्म रक्तवाहिकाए (cluster of capillaries called a glomerulus) का समूह होगा! ग्लोमेरूलुस का चारों ओर एक कप जैसा (Bowman's capsule) आकार में थैली (sac) घेरा हुआ होता है! इस में दबाव(pressure) का वजह से रक्त को साफ़ कियाजाता है! सफ़ेद रक्तकणों, और पोषणपदार्थ (proteins) रक्त में रहजायेगा! पानी, ग्लूकोज(glucose), यूरिया(urea), ये सब कप(Bowman's capsule) में रहजाता है! छाना हुआ स्वच्छ रक्त वाहिकायों में अपना प्रसरण (circulation) जारी(continues) रखेगा और मूत्रवाहिकावोम् (renal tubule) पहुंचेगा! ग्लूकोज, पोटाषियम, सोडियं,(Chemicals like Glucose, potassium, sodium, hydrogen, magnesium, and calcium), हैड्रोजन, माग्नीषियं, और काल्षियं, ये सब पुनः रक्त में मिलजाएगा(reabsorb)! इस पद्धति में शरीर का आवश्यक पानी को बचाके, बाकी व्यर्थो यानी यूरिया, व्यर्थजल, और अकार्बनिक (inorganic salts) लवणों, ये सब ही नेफ्रांस (nephrons) में रहजायेगा! वे मूत्र का माध्यम से शरीर का बाहर भेजदिया जाएगा! स्वच्छ रक्त गुर्दो(Kidneys) और नाड़ियों द्वारा(veins) पुनः ह्रदय को जाएगा!
मूत्र नाळ(ureters): यह गुर्दा से मूत्राशय(urinary bladder) को मूत्र लेजाने वाला नाली है! यह साधारण रूप में 25–30 cm (10–12 in) लम्बाई होगा!
मूत्रमार्ग(Urethra): यह मूत्र को मूत्राशय(urinary bladder) से शरीर का बाहर विसर्जन के लिए लेजानेवाली नाली है!
मूत्राशय(urinary bladder): गुर्दो(Kidneys) से बाहर आया हुआ मूत्र को रखने का एक अंग (organ) है! इस मूत्राशय(urinary bladder) से ही मूत्र शरीर का बाहर विसर्जन के लिए लेजायाजाता है!
चर्म या त्वचा(Skin): पसीना (sweat) का माध्यम से शरीर व्यर्थो को बाहर भेज के और शरीर आवश्यक शीतोष्णस्थिति संभालता(maintain) है! यह त्वचा शरीर अंतर्गत अंगों, और टिष्यू को रक्षण देता है!
फेफडो(Lungs): ये कार्बंडयाक्सैड(Carbon dioxide) को निकालदेगा और रक्त में ओक्सिजेन्(oxygen) मिलाके शुद्ध करेगा!



अध्यावरणी सिस्टम(integumentary system):
त्वचा, केश, नाखून, और एक्सोक्रिन (exocrine glands) ग्रंथी, इन सब मिलके अध्यावरणी सिस्टम(integumentary system) कहते है! त्वचा, केश, और नाखून, ये सब शरीर को रसायनों(chemicals), व्याधि, और पराबैगनी किरण (ultraviolet rays) इन सबसे, शरीर अंतर्गत अंगों, और टिष्यू (tissues), को, हानी नहीं होने देगा और  रक्षण देगा! स्वेद, तेल, एक्सोक्रिन (exocrine glands) ग्रंथी, मोम(wax) उत्पत्ति करके आवश्यक सीलन (moisture) देके शरीर को धुल वगैरा से बचादेगा!

एपिडर्मिस(epidermis):
सब का उप्पर का बाह्य त्वचा को एपिडर्मिस(epidermis) कहते है! ये सारे शरीर को कवर (cover) किया हुआ आवरण है! यह डर्मिस(dermis) को ढकादेगा! इस एपिडर्मिस(epidermis) आवरण(layer) में रक्तवाहिकाए नहीं होगा! इस का आवश्यक पोषण पादार्थो(nutrients) डर्मिस(dermis) आवरण(layer) से मिलेगा! 90% एपिडर्मिस (epidermis) कणों को केराटिनोसैट्स(keratinocytes) कहते है! साधारण रीति में चार आवरण (layers) में होता है! पाणी और पादों में पाँच आवरण (layers) में होता है! सबसे अन्दर का आवरण को स्त्राटम(stratum basal)बसल कहते है! वे मेलानिन रंग(pigment melanin) को उत्पत्ति करेगा! वह चर्म को पराबैगनी किरण (ultraviolet rays) और धुप दाह(sunburn) से बचादेगा!
डर्मिस(dermis):
एपिडर्मिस(epidermis) का नीचे आवरण(layer) को डर्मिस(dermis) कहते है! इसका साथ नाड़ियों, रक्त, रक्तवाहिकाए, जोड़ा हुआ होता है! एपिडर्मिस(epidermis) से डर्मिस (dermis) अधिक मोटा (thick) होता है! यह डर्मिस त्वचा को बल और एलास्टिसिटी (strength & elasticity) देगा! इस डर्मिस आवारण(layer) में पपिल्लारी(papillary)  और जालीदार (reticular) नाम का दो आवरणों होंगे! इन का माध्यम से पोषण पदार्थो (nutrients) और प्राणवायु (oxygen) दोनों एपिडर्मिस(epidermis) को मिलेगा! स्पर्शा, दर्द, और शीतोष्णस्थिति इत्यादि एपिडर्मिस(epidermis) का माध्यम से डर्मिस (dermis) को मिलेगा!  

ग्रंथियों(Glands of the Human Endocrine System):
1)हैपोथलमस्(Hypothalamus): यह भेजा में एक भाग है! यह एंडोक्रिन (endocrine system) सिस्टम का नियंत्रण और बटवारा (Control and Relay Centre) केंद्र है!
2)पिट्यूटरी (Pituitary gland)ग्रंथि: यह भेजा में एक है! यह एक विशेष और अत्यंत विशिष्ट ग्रंथि(master gland) है! पीछे(posterior), मध्य(interior), और आगे (anterior) करके इस पिट्यूटरी (Pituitary gland)ग्रंथि तीन भाग यानी लोब्स (lobes) में होता है!
पीछे(posterior) लोब् (lobe):
अ)यह आक्सिटासिन् (oxytocin) नाम का हारमोन उत्पत्ति करेगा! यह गर्भाशय (uterine  and breast contraction) और स्तनों को उत्प्रेरण करके क्षीर उत्पादन करेगा!  आ) यांटि डैयुरिटिक्(anti-diuretic harmone-ADH- also known as “vasopressin) हारमोन वासोप्रेसिन को हैपोथलमस्(Hypothalamus) उत्पादन करके पिट्यूटरी (Pituitary gland)ग्रंथि में रखेगा! यह गुर्दो का नाली का माध्यम से (kidney tubules) पानी को पुनः ग्रहण करने को प्रेरणा देगा! हैपो का अर्थ अल्प है! यांटि डैयुरिटिक्(anti-diuretic harmone-ADH- also known as “vasopressin) हारमोन अल्प मात्र में उत्पत्ति होने से अधिक मूत्र उत्पत्ति होगा! इस को डयाबेटिस(Diabetes Insipidus) इनसिपिडस कहाए है!
आगे (anterior lobe):
अ)प्रोलाक्टिन(prolactin-PRL): यह स्तनों से क्षीर उत्पत्ति करेगा! आ) मानव विकास (human growth-HGH): इस HGH ठीक तरह होने से मानव विकास होगा, अल्प(hypo) होने से वामन अथवा बौना(Dwarfism) बनेगा, अधिक (Hyper) होने से अधिक लंबा(Gigantism) बनेगा, इ) थैराइड् प्रेरण करनेवाला हारमोन (thyroid stimulating harmone—TSH): थैराक्ससिन् को मुक्त (release) करने को प्रेरण करेगा इस TSH! ई) अड्रेनोकोर्टिको ट्राफिक हारमोन (adrenocorticotrophic Harmone—ACTH): यह अड्रेनल् आवरण(adrenal cortex) को प्रेरेपण करेगा जिस का वजह से कोर्टिकोस्टेरायिड्स (Cortico steroids) उत्पत्ति होजायेगा! उन में मिनरल कोर्टिकोइड्स(mineral corticoids), और ग्लूको कोर्टिकोइड्स (gluco corticoids) सूजन(swelling) निकालनेवाला कोर्टिजोल आंड्रेजेन(cortisolnatural anti-inflammatory androgens) है! लुटेनैसिंग हारमोन (luteinizing harmone—LH): यह अंडा(ovulation) प्रक्रिया को बाहर लाएगा! तत पश्चात परिस्थिति को(corpus luteum) संभालेगा(maintain)! फोल्लिकल स्तिम्युलेटिंग हार्मोन(Follikal stimulatinh harmone—FSH: इस FSH हारमोन का हेतु ग्राफिन फोल्लिकल (Graafin follicles) में वृद्धि और विकास होने को प्रेरण मिलेगा! अंडोत्सर्ग (Ovulation) का पहले स्थिति में ग्राफिन फोल्लिकल (Graafin follicles) अधिक द्रव से (fluid-filled cavity) भरा हुआ छिद्र है! वह अंडाशय(ovary) को फूलनेदेगा(swell)! इस के लिए 28 दिन लगेगा!
यं.यस्.एच्.(Melanin Stimulating HormoneMSH): यह MSH मेलनिन को प्रेरण देगा!
गोनडोट्राफिन्स(gonadotrophins): इस हारमोन का हेतु स्तन, मांसपेशी, दाडी आना, स्त्री अथवा पुरुष का स्वर( tone of girl or boy) आना, ये सब लिंगभेद (sex difference) का अनुसार आयेगा! इन्ही को माध्यमिक(Secondary sexual characteristics) लिंगभेद लक्षणों कहते है! परंतु इन सब को उत्पादन (reproduction) से कोईभी संबंध नहीं है!
ऐ.सि.यस्.एच्.(Interstitial cell stimulating Hormone—ICSH) : इस हारमोन अंडकोष (testes) में उपस्थित वीर्या नालियों (seminiferous tubules)में वीर्योत्पत्ति के लिए (sperm) काम करेगा! इस वीर्य परिणिति(mature) होने को 21 दिन लगेगा! इस समय में वीर्य लिंग से बाहर(ejaculated) नहीं निकालने से उस वीर्य को शरीर अपना अंदर पुनः ग्रहण करेगा!
मध्य लोब (interior lobe):
इस से इंटर्मेडिन् हार्मोन उत्पत्ति होगा! इस हार्मोन मेलनोसैट् (melanocyte) उत्पत्ति को नियंत्रित करेगा! ये मेलनिन(melanin) कणों उत्पत्ति को नियंत्रित करेगा! 


पीनियल ग्रंथि (Pineal gland) मूंगफली दाणा जैसा नाडी आवरण जैसा होनेवाली इस ग्रंथि का डंडी(stalk) बेजा का तीसरा वेंट्रिकल(third ventricle)का साथ जोड़ा (join) हुआ होता है! दोनों भेजा का (two cerebral hemispheres) अर्थगोळ का बीच में, गहाराई में, कपाळ का पीछे, एकदम कोर्पस कल्लोसम(corpus callosum) (just below and behind) का नीचे उस का पीछे उपस्थित है!
यह एक ग्रंथि जैसा काम करेगा! मेलटोनिन(melatonin) नाम का हारमोन को अंधकार (darkness) में उत्पादन करेगा! परंतु उज्वल कांति में उत्पन्न नहीं करेगा! यह पिट्युटरी ग्रंथि नियंत्रित(regulates) करेगा! यह पीनियल ग्रंथि मानवजाति का जीव विज्ञान संबंधित घड़ी(biological clock) है! भेजा (cerebrum) का ग्राहकों(receptors) इस मेलटोनिन(melatonin) हारमोन का साथ विरुद्ध प्रतिक्रया(react) करेगा! उस का अनुसार 24 घंटे दिन और रात शरीर को समायात्त(prepare) करेगा! उस पद्धति में भेजा (cerebrum) को कब दिन है, या कब रात है, ज्ञात करेगा! मेलटोनिन(melatonin) हारमोन सेरटोनिन(serotonin) से उत्पन्न हुआ है! मेलटोनिन (melatonin) सेरटोनिन(serotonin) का साथ मिलके निद्रा को(regulates sleep cycle) नियंत्रित करेगा! विश्राम भाव उत्पन्न करेगा! नाडी व्यवस्था का (Conversion of Nervous System Signals to Endocrine Signals) संकेतों को एंडोक्रिन संकेतों में तर्जुमा करेगा! सेक्स विकास (Influences Sexual Development)को प्रभावित करेगा! पुंजातीयता (masculinity) अथवा नारीत्वता (femininity) को वृद्धि करेगा इति तात्पर्य है!

4) थैराइड्(Thyroid Gland) ग्रंथि:
यह थैराइड्(Thyroid Gland) ग्रंथि थैराइड्(Thyroid/ ParaThyroid Gland)  पाराथैराइड् ग्रंथि में एक भाग है! यह कंठ में (विशुद्ध चक्र) होता है! यह थैराक्सिन(Thyroxin) हारमोन को मुक्त(release) करता है! बासल मेटबालिक (Basal Metabolic Rate--BMR) रेट संबंधित है! 
हैपर थैराइडिजं(Hyper-Thyroidism=over-active thyroid= Thyrotoxicosis):
अवसर से अधिक थैराइड् कामा करने को हैपर थैराइडिजं कहते है! शरीर का खर्च करने का शक्ति अवसर से अधिक होने को BMR रेट कहते है! इस का हेतु ह्रदय ज्यादा स्पंदन करेगा! वजन कम होना, निद्रा नहीं होना या आना(insomniac), नेत्र में सूजन(swelling) होना, गलगंड(Goitre) रोग आना, परध्यान (Attention Deficit Disorder) इत्यादि लक्षणों हैपर थैराइडिजं से आता है!
हैपो थैराइडिजं(Hypo-Thyroidism): शरीर का खर्च करने का शक्ति अवसर से अधिक होने को BMR रेट कहते है! यह BMR रेट हैपो थैराइडिजं रोग में अल्प यानी कम होता है! वजन अधिक होना, आलसीपन, बालो का गिरना(hair loss), इत्यादि लक्षणों हैपो थैराइडिजं से आता है! आयोडीन (iodine) आहार में सही प्रमाण में नहीं मिलना इसका कारण है! इस का हेतु सम्भोग(intercourse) में उत्साह कम होजाता है!
काल्सिटोनिन(Calcitonin) हारमोन्: हड्डियाँ काल्षियम् (calcium) को ग्रहण करने के लिए संबंधित काल्सिटोनिन(Calcitonin) हारमोन् है!

5)पाराथैराइड्(ParaThyroid Gland) ग्रंथि:
यह पाराथैराइड् ग्रंथि थैराइड्(Thyroid/ ParaThyroid Gland)  पाराथैराइड् ग्रंथि में एक भाग है! यह कंठ में (विशुद्ध चक्र) होता है! यह पाराथैर्मो(parathormone) हारमोन को मुक्त(release) करता है! मांसपेशी (muscle) और हड्डी(bone) संबंधित है! यह काल्षियम्(calcium) और फास्फेट (phosphate) को शरीर में बटवारा (distribute) करेगा!
हमबीजाक्षर को विशुद्ध चक्र में 108 बार (times) प्रातःकाल में उच्चारण करने से थैराइड् संबंधित व्याधियों का निवारण करसकता है!


6)थैमस् (Thymus) ग्रंथि:
फेफडो(trachea & bronchi)का उप्पर, यानी अनाहत का उप्पर, कंठ(throat)(विशुद्ध चक्र)  (The thymus gland is located straddled across the trachea & bronchi in the upper thorax --a bi-lobed organ in the root of the neck, above and in front of the heart) का पास ह्रदय का उप्पर उस का सामने उपस्थित है! यह रोगनिरोधक (immune system) शक्ति सम्बंधित है! यह एक बीजकोष यानी काप्सुल(capsule) में उपस्तित है! अंतर्गत में छोटा छोटा क्रास दीवारे(cross-walls) का माध्यम से बहुत कुछ विभागों (lobules) का सहित होता है! इतना ही नहीं, टी.लिम्फोसैट्स (T-lympho cytes) से भरा हुआ होता है! टी.लिम्फोसैट्स (T-lympho cytes)का तात्पर्य यांटिबाडीस उत्पादन करनेवाला सफ़ेद रक्त कणों (white blood cells associated with antibody production) इति अर्थ है!


7) पांक्रियास (Pancreas) ग्रंथि:
यह उदर (stomach) का पीछे उपस्थित है! यह पांक्रियास (Pancreas) एक्सोक्रिन(exocrineducted) भी और एंडोक्रिन( endocrineductless) भी है! एक्सोक्रिन(exocrineducted) का रूप में पांक्रियाटिक अमिलेस (Pancreatic amylase), लिपासे(Lipase), और प्रोटीसेस(Proteases) नाम का किण्वकों (enzymesorganic catalysts) यानी एंजैमों को डक्ट यानी मोरी(duct) का माध्यम से छोटा अंतड़ी (small intestine) में छोडदेगा! पांक्रियाटिक अमिलेस (Pancreatic amylase) नाम का किण्वक (enzyme) कार्बोहैड्रेट(carbohydrate) को शक्कर(सुगर) (polysaccharidesstarch into sugar) का रूप में तोड के अलग करदेगा! लिपासे(Lipase) नाम का किण्वक (enzyme) चरबी (fats into fatty acids and glycerol) को चरबी आम्ल और ग्लिसेरोल का रूप में तोड के अलग करदेगा! प्रोटीसेस(Proteases) नाम का किण्वक (enzyme) (protein polypeptide into di-peptides) प्रोटीन पोलीपेप्टैड् को डै पेप्टैड् का रूप में तोड के अलग करदेगा! लंगेरर्हंस्(islets of Langerhans)का छोटा द्वीपों इस पांक्रियास (Pancreas) ग्रंथि में ही होता है! परंतु आल्फा और बीटा(groups of both Alpha- and Beta- cells) कणों का समूहों इन में होता है!
बीटा कणों (Beta- cells): इन्सुलिन नाम का हारमोन् (insulin) को ये बीटा कणों (Beta- cells) उत्पादन करती है! ग्लूकोस को ग्लैकोसन(Conversion of glucose to glycogen) में बदलना, कणों ग्लूकोस को ग्रहण करना (Cellular up-take of Glucose), अधिक ग्लूकोस को चर्बी(fat) में बदलना बीटा कणों (Beta- cells) उत्पादन करने इन्सुलिन का काम है!
हैपो(Hypo): बीटा कणों (Beta- cells) का इन्सुलिन नाम का हारमोन् (insulin) अल्प(Hypo) होने से मधुमेह (Diabetes Mellitus) का हेतु बनता है! रक्त में ग्लूकोज लेवेल्स(levels) अधिक (hyperglycaemia) होना इस का लक्षण है! यह क्रमशः तीव्र अनारोग्य प्ररिस्थितियों का मार्ग बनाएगा! इसीलिये सही वैद्य (meditation) शीघ्र आवश्यक है!
मणिपुर चक्र में 108 बार रम् बीजाक्षर कीर्तन (chant) करने से यह मधुमेह समस्या अधिकतरह परिष्कार होगा!    
आल्फा कणों(Alpha Cells):
पांक्रियास(Pancreas) का आल्फा कणों(Alpha Cells) ग्लूकगान (Glucagon harmone) हारमोन को मुक्त करेगा! ग्लैकोजेन् (Conversion of glycogen to glucose) को ग्लूकोस में बदलना, और ग्लूकोस को चरबी (fats) में बदलना, इस ग्लूकगान का काम है! ग्लूकोस लेवेल्स को सही ढंग से रखना इस ग्लूकगान करेगा! इस का वजह से शरीर सही काम करेगा!   
8) अड्रेनल् ग्रंथि (adrenal gland): गुर्दे संबंधी अन्तः स्रावी ग्रंथि
यह अड्रेनल् ग्रंथि अड्रेनल् (Adrenal medulla) मेडुल्ला में उत्पादन होता है!  अड्रेनलीन (adrenalin) और नोराअड्रेनलीन(nora adrenalin) नाम का हार्मोनों उत्पादन करता है! ये भय, युद्ध, और भागना (fright, fight or flight) इत्यादि विषयों के लिए शरीर को तैयार (prepare) यानी समायात्त करेगा! अंतड़ी (intestine), और रक्तप्रसरण में परिवर्तन (change) लाके गभराहट करवादेना, ह्रदय का स्पंदन अधिक होने देना, श्वासक्रिया, और पल्स रेट(pulse rate) में परिवर्तन, कण जीवनक्रिया (Metabolic rate increased) में वृद्धि, मांसपेशियों चिकुड्जाना, और बढ़ना, इत्यादियों इसका परिणाम है!
अड्रेनल्कोर्टेक्स (Adrenal cortex):
कोर्टिकोस्टेरायिड्स (corticosteroids) नाम का हारमोनों को उत्पादन करता है! इन का माध्यम से(Glucocorticoids e.g. cortisol, cortisone, corticosterone) कार्बोहैड्रेट, चरबी, और पोषणपदार्थों(Utilization of carbohydrate, fat and protein) इन सब को शरीर को मिलनेदेना, शरीर को दबाव (stress), और सूजन(swelling) इत्यादियों से सहन करने को तैयार खेगा!   
वैसा ही मिनेरलोकोर्टिकोयिड्स (mineralocorticoids e.g. aldosterone) नाम का हारमोनों को उत्पादन करता है! इस का द्वारा शरीर का नमक, और जल दोनों का समतुल्यता संभालना होजायेगा!(salt and water balance)
9) अंडकोष (Testes): ये श्रोणी प्रदेश (located outside the pelvic cavity) का नीचे उपस्थित है! ये टेस्टोस्टेरोन(testosterone) नाम का हारमोन उत्पादन करेगा! ये पुरुष वर्ग हारमोनों को वृद्धि करेगा! शरीर को(Secondary sexual characteristics. e.g. body hair, muscle development, voice change) माध्यमिक लक्षणों उत्पादन करेगा!
10)  अंडाशय(Ovaries):
यह परिणिति हुआ(Produce mature ova) अंडा को उत्पादन करेगा! ईस्ट्रोजेन(oestrogen), और  प्रोजेस्ट्रोजेन(progestrogen) नाम का हारमोनो को उत्पदान करेगा!

अनेक प्रकार के विषय (Miscellaneous subjects):
रक्त (Blood): रक्त में  प्लास्मा नाम का (55% of blood fluid) द्रव होता है! प्लास्मा में कणों तैरता है! शरीर आवश्यक पदार्थो, शक्कर(sugar), प्राणवायु (oxygen), हारमोन, इन सब को उपलब्ध करता है! कणों से निकलनेवाली व्यर्थो, आखरी में मल मूत्रो, पसीना, फेफडो (lungs) से मुक्त हुआ कार्बनडयाक्सैड (carbon dioxide) इन सब को शरीर का बाहर भेजने का रक्त सहायता करेगा! रक्त में रक्त (clotting agents)घनी कारको भी होता है! प्लास्मा में पानी, रक्त कणों, कार्बनडयाक्सैड (carbon dioxide), ग्लूकोस शक्कर(Glucosesugar), हारमोन, और पोषणपदार्थो(hormones, and proteins) होता है!

रक्तकणोंविविध प्रकार का(Types of blood cells):
लाल रक्तकणों(Red blood cells - also known as RBCs or erythrocytes):
ये रक्त में अधिकतर होता है! इस में हिमग्लोबिन(hemoglobin Hb or Hgb) नाम एक विशेष पोषण पदार्थ (protein) होता है! वह प्राणवायु (oxygen) को फेफडो (lungs) से शरीर का टिष्यू(tissues), और कणों का अन्दर पहुन्चादेगा!
सफ़ेद रक्तकणों (White blood cells – leukocytes):
ये रोगनिरोधकशक्ति (immune system)के लिए अत्यंत आवाश्यक है! लिंफोसैट और गेनुलोसैट (Lymphocytes and ganulocytes) इन दोनों सफ़ेद रक्तकणों (White blood cells–leukocytes) का अन्दर का ही है! कैंसर(cancer) कणों के विरुद्ध युद्ध करेगा!
बिंबाणु (Platelets–thrombocytes):
रक्त घनीभव होनेको ये (clotting–coagulation)सहायता करेगा! हिमग्लोबिन(hemoglobin Hb or Hgb) में प्राणवायु मिलाने से तब उस रक्त अधिक लाल होगा! रक्तावाहिकावोम का माध्यम से उस प्राणवायुसहित रक्त को ह्रदय पम्प (pump) करेगा!  



अस्थि मज्जा (bone marrow):
लाल रक्तकणों(Red blood cells - also known as RBCs or erythrocytes), सफ़ेद रक्तकणों (White blood cells – leukocytes), और बिंबाणु (Platelets–thrombocytes), ये सब अस्थि मज्जा (bone marrow)में ही उत्पादन होता है! अस्थियो का छिद्रों (cavities) में यह अस्थि मज्जा (bone marrow) होता है! चरबी(fat), रक्त, स्टेम कणों (stemcells) इस अस्थि मज्जा (bone marrow) में होता है! मेरुदंड, पसली (ribs), उरोस्थि (sternum),कपाळ(skull), और नितंब (hips) इन में अस्थि मज्जा (bone marrow) होता है!

कुछ मुख्य विषयों:
प्रातः 0500 से 0700 समय में बड़ा अंतड़ी  (large intestine) क्रियाशीलक(active) रहता है! शरीर से व्यर्थो को बाहर भेजने का काम में निमग्न होगा! इस समय में पानी ज्यादा लेना चाहिए! योगासन, टहलना (walking), धौडना(jogging), इत्यादि व्यायामों करना युक्त है! काफी चाय नहीं पीना चाहिए!
उदय 0700 से 0900 समय में पोषण पदार्थ (proteined food), कम कार्बोहैद्रेट्स (less Carbohyd rates), आरोग्यकारक चरबी पदार्थो(less Cholesterol), फल (fruits) लेना चाहिए!
उदय 0900 से 1100 समय में प्लीह(spleen) क्रियाशीलक(active) रहता है! क्रियाशीलक(active) रहता है! शरीर का जीवक्रिया को सही पंथा में रखेगा! पोषण पदार्थों (proteins) को शरीर ग्रहण करने का परिस्थिति सिद्ध करेगा!

मध्याह्न 1100 से 1300  समय में हृदय (heart) क्रियाशीलक(active) रहता है! रक्त शरीर भागों को सही ढंग से सरफरा होनेका हृदय (heart) देखेगा! इस का हेतु शरीर कणों को शक्ति सही ढंग से मिलेगा!
मध्याह्न 1300 से 1500  समय में छोटा अंतड़ी (small intestine) क्रियाशीलक (active) रहता है! जीर्णप्रक्रिया के लिए सहायता करेगा!
मध्याह्न 1500 से 1700  समय में मूत्राशय(Urinary bladder) क्रियाशीलक (active) रहता है! शरीर व्यर्थो को बाहर भेजेगा! इस समाया में पानी ज्यादा पीना चाहिए!
संध्या 1700 से 1900  समय में गुर्दो(kidneys) क्रियाशीलक (active) रहता है! रक्त को छानना(filter), और व्यर्थो को मूत्राशय(Urinary bladder) में भेजना ये सब करेगा!



रात 1900 से 2100  समय में हृदय आवरण (pericardium) क्रियाशीलक (active) रहता है! इस समाया में रात का भोजन ग्रहण करना संपूर्ण होना जरूरी है! भेजा और प्रत्युत्पत्ति अंगों को हृदय आवरण (pericardium) क्रियाशीलक (active) रखेगा!
रात 2100 से 2300  समय में भोजन बिलकुल ग्रहण नहीं करना चाहिए! थैराइड् और अड्रिनलीन (Thyroid, and adrenal glands) ग्रंथियों क्रियाशीलक (active) रहता है! शरीर उष्णोग्रता को क्रमबद्धीकरण(regularise) करेगा! कणों को शक्ति मिलाने देगा!
अर्ध रात 2300 से 0100  समय में (Urinary bladder) क्रियाशीलक (active) रहता है! गालब्लाडर (gall bladder) में पत्थर(stones) जिसको है उन लोगों को साधारण रूप में दर्द आनेका सम्भावना है!
अर्ध रात 0100 से 0300  समय में जिगर (liver) क्रियाशीलक (active) रहता है! इस समय में निद्रा अत्यंत आवश्यक है! जागना उचित नहीं है! उस समय में काम के हेतु जागा हुआ रहनेसे जिगर (liver) को हानी पहुंचेगा और व्यर्थो बाहर नहीं जाएगा!


प्रातः 0300 से 0500  समय में फेफडो(lungs) क्रियाशीलक (active) रहता है! उस समाया में खासी (cough) आना अच्छा है! विष पदार्थो को फेफडो (lungs)बाहर भेजनेको यह संकेत है!
***
पेरिकार्डियम (pericardium) एक द्रव से भरा हुआ थैली (fluid filled sac)वह ह्रदय और अरोटा(proximal ends of the aorta, vena cava, and the pulmonary artery) समीप का कोणों को वेनाकावा और पलमनरी आर्टरी इन सब को घेरा हुआ (cover) होता है! पेरिकार्डियम (pericardium) का बहुत ज्यादा काम होता है! ह्रदय को उस का छिद्र (chest cavity)में भद्रता रूप में रखना, रक्त का आयतन (volume) बढ़ने से अधिक व्याकोच से रुखना(overexpanding), और ह्रदय का कम्पनों (motions) को परिमिति में रखना इत्यादि काम पेरिकार्डियम (pericardium) करता है!  

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