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Showing posts from February, 2014

What is Kriya yoga...?

What Is Kriyayoga…? Kriyayoga is commingling of 1) Hatha Yoga(energisation exercises), 2) Layayoga(So Ham and Aum techniques), 3) karmayoga(service), 4)Mantrayoga(Beejaakshara chanting in Chakras), and 5)Rajayoga(Pranayama techniques). Kriyayoga is an aeroplane way of reaching God. Hey man, awake from this ignorance. “Sat” means the absolute/eternal Truth, Nyaasa means the Quest. Doer of the quest for absolute/eternal Truth is Sanyasa. . With the practice of KriyaYoga get Samadhi.  Sama(equal or merge with) Adhi (Parabrahman, God the father),  Merge with God.  God has given Will power to Man. Misery, Pleasure, Happiness of Sense/Action organs are finally enjoyed by Physical body at last. Man will not get any punishment until he does not utilise his Physical body for any crime. There is a provision for a change/realization till the last moment and can escape from the crime.    The outgoing force of life energy at the base of the spine in Moolaadh...

क्रियायोगसाधना--रोगानिवारिणी मुद्राये

सीधा वज्रासन , पद्मासन अथवा सुखासन मे ज्ञानमुद्रा लगाके बैठिए! अनामिका अंगुलि के आग्रभाग को अंगुष्ठ के आग्रभाग से लगाए और दबाए। शेष अंगुलिया सीधी रखें। कूटस्थ मे दृष्टि रखे! मन को जिस चक्र मे ध्यान कर रहे है उस चक्र मे रखिए और उस चक्र पर तनाव डालिए! पूरब दिशा अथवा उत्तर दिशा की और मुँह करके बैठिए! शरीर को थोडा ढीला रखीए! खेचरी मुद्रा में रहिये! मूलाधार में 4 बार , स्वाधिष्ठान में 6 बार , मणिपुर में 10 बार , अनहता में 12 बार , विशुद्ध में 16 बार , आज्ञा नेगटिव में 18 बार , आज्ञा पाजिटिव में 20 बार , अन्तःकुम्भक (Fission) और बाह्याकुम्भक (Fusion) कीजिए!    कनिष्ठा तथा अनामिका अंगुलियों के अग्रभाग को अंगुठें के अग्रभाग से मिलाए। हर दिन प्रातः तथा सायम संध्या समाया में 25 मिनट करने से  शरीर की दुर्बलता दूर करना , मन की शांति , आंखों के दोषों को दूर करना , शरीर की रोगनिरोधक शक्ति बढाना , विटमिनो की कमी को दूर...