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Showing posts from February, 2016

रथसप्तमी

रथसप्तमी: रथं का अर्थ इस भौतिक शरीर है! इस शरीर में मूलाधार, स्वाधिष्ठान, मणिपुर, अनाहत, विशुद्ध, आज्ञा, और सहस्रार चक्र इति सप्त चक्रों है! क्रियायोग करो, कुण्डलिनी शक्ति को जागृति करो! जागृति हुआ कुण्डलिनी शक्ति को इन सप्त चक्रों से दिशा निर्देश करके सहस्रार चक्र में भेज दो, मुक्ति प्राप्ति करो! इसी को रथसप्तमी कहते है!

Rathasaptami

Rathasaptami: Ratham means Physical body. There are seven chakras viz., Moolaadhara, swadhishtana,   Manipura, Anahata, Visuddha, Agna, and Sahasrara chakras in our body. Do kriyayoga and awaken your Kundalinee. Direct this awakened kundalinee through these seven chakras. Then get liberated. This is called Ratha Saptami.

రథసప్తమి

రథసప్తమి: రథము అనగా శరీరము. ఈ శరీరములో మూలాధార, స్వాధిష్ఠాన, మణిపుర, అనాహత, విశుద్ధ, ఆజ్ఞా, మరియు సహస్రార అని ఏడు చక్రములు ఉన్నవి. క్రియాయోగము ద్వారా కుండలినిని జాగృతి పరచుము. జాగృతి పరచిన కుండలిని ద్వారా ఈ ఏడు చక్రములను జాగృతి పరచుము. తద్వారా మోక్షప్రాప్తి పొందుము. ఇదియే రథసప్తమి.

बीजाक्षर – विवरणार्थ

बीजाक्षर – विवारणार्थ: वृक्ष का बीज जैसा बीजाक्षर भी मंत्र का बीज जैसा है! वह गाने से साधक को सकारात्मक शक्ति लभ्य होगा! जितना गाने से इतना अधिक सकारात्मक शक्ति लभ्य होगा! और वृक्ष जैसा वृद्धि होगा! बीजमंत्र जो है वे स्पंदनों है! आत्मा का पुकारो है! सृष्टि आरंभ का स्पंदनों बीजाक्षर मंत्र ही है! नौ शब्दों तक बीज मंत्र कहते है! नौ शब्दों से अधिक होने से मंत्र, और बीस शब्दों से अधिक होने से उस को महा मंत्र कहते है!    असली में सृष्टि आरंभ का प्रथम स्पंदन ‘ॐ’ बीजाक्षर मंत्र ही है! उस ‘ॐ’ बीजाक्षर मंत्र ही क्रमशः योग बीज, तेजोबीज, शांतिबीज, और रक्षा बीज जैसा व्यक्तीकरण हुआ! ‘ऐं’ ‘ह्रीं’ ‘श्रीं’ ‘क्लीं’ ‘क्रीं’ ‘गं’ ‘ग्लौं’ ‘लं’ ‘वं’ ‘रं’ ‘यं’ ‘हं’ और ‘रां’   बीजाक्षरों ‘ॐ’ से ही उत्पन्न हुआ! संगीत में प्रथमाक्षर ‘ॐ’ ही है! वह क्रमशः ‘स’ ‘रि’ ‘ग’ ‘म’ ‘प’ ‘द’ ‘नि’ जैसा रूपांतर हुआ! बंसिरी वादन में निकलनेवाली प्रथम शब्द ‘ॐ’ ही है! ‘ॐ’           अकार उकार मकार संयुक्तं ‘ॐ’कार यानी अकार उकार मकार इति तीन शब्दों ...