अष्टादश पुराण: इन अष्टादश पुराणों में सृष्टि कार्यक्रम पुनरावृत होता है! प्रचेतस का भार्या मरीषा है! प्राचेतस का अर्थ शुद्धचेताना है! मरीषा का अर्थ इच्छुकों है! भौतिक जगत का मूलकारण इच्छुकों से भरा हुआ शुद्ध चेतना ही है! तब व्यक्तीकरण हुआ पुरुष का नाम दक्ष है! क्रमशः वह दक्ष ही प्रजापति का नाम से व्यवहारित हुआ है! तत पश्चात अनेक प्रजापतियो का व्यक्तीकरण हुआ! इसी कारण आदि पुरुष दक्ष प्रजापती ही है! मनस् ही ब्रह्मा है! परमात्मा का अन्दर ही माया है! मायाको स्वयं प्रतिपत्ति नहीं है! विष्णु , ललिता , कृष्ण , रामा , ब्रह्मा , शिव , इत्यादि नामो से पुकारा जाता है माया! मा= नहीं , या= यदार्थ , पदार्थ कभी भी यदार्थ नहीं है! माया व परमात्मा का शक्ति अपने आप को स्वयं सृष्टि , स्थिति , और लया इति तीन भागो में विभाजित करा के सृष्टि कार्य चलाती है! सृष्टि का अर्थ ब्रह्म , स्थिति का अर्थ विष्णु , और लया का अर्थ शिव है! एक ही पुरुष भर्ता , पिता , पुत्र , मित्र , अधिकारी , इत्यादि विविध रूपधारण करता है! अपना कार्यकलाप चलाता है! वैसा ही परमात्मा एक ही अपनी आप को स्वयं सृष