KRIYA YOGA SADHANA -
Kriya Yoga Sadhana క్రియ యోగ సాధన పై శ్రీ కౌతా మార్కండేయ శాస్త్రి గారి ప్రవచనం ॐ श्रीकृष्ण परब्रह्मणेमः श्रीभगवद्गीत द्वितीयोऽध्यायः संख्यायोगः संजय उवाच:-- तम् तथा कृपयाविष्टं अश्रुपूर्णा कुलेक्षनाणम् विषीदंतमिदं वाक्यं उवाच मधुसूदन 1 संजय ने कहा:-- हे धृतराष्ट्र महाराजन, इस प्रकार दया से व्याकुलित होंकर गद्गद स्वर से रोता हुआ अर्जुन को देख कर भगवान श्री कृष्ण ने ऐसा कहा: पहले दशा में ही देव साम्राज्य को पाना दुस्साध्य है! एक इंजीनियर, डाक्टर, अथावा वैग्नानिका शास्त्रवेत्त होने के लिए 15 अथावा 20 वर्षों का कठोर परिश्रम का अवसर है! कुछ तुरंत साध्य करना है सोच के साधना प्रारंभ करके उस का बाद आगे नहीं बढ़ने साधक अपना मनोव्याकुलता को मधुसूदन, अज्ञान मिटानेवाले, को निवेदन करता है! ए ही शुद्ध आलोचना शक्ति (संजय) विषयासक्त मन( धृतराष्ट्र महाराज) को कहते है! श्री भगवान उवाच: कुतास्त्वाकश्मलमिदं