पशु - मनुष्य - चक्रों कीड़ा , वृक्ष , पक्षी , पशु इत्यादि में प्राणशक्ति होता है! मनुष्य का अन्दर चक्रों होता है! मनुष्य परमात्मा का शैली में बना अथवा व्यक्तीकरण हुआ है! इसी हेतु मनुष्य जन्म , मुमुक्षत्व , और महापुरुष दर्शन दुर्लभ है! देवताये भी परमात्मा का साथ अनुसंथान होने के लिए मनुष्य जन्मा लेना ही पडेगा ! मनुष्य जन्म में गलतियाँ/पाप किया हुआ लोग हीनजन्मो में जन्म लेंगे! कीड़ा , वृक्ष , पक्षी , पशु इन सब हीनजन्म का तात्पर्य है! केवल अपना सजा पाने के लिए ही ऐसा जन्म लेते है! इन को कर्मा , कर्मफल , पापपुण्यों , नहीं होंगे! एक व्याघ्र( tiger) जितना पशुओं को मार के खाने से भी उस को पापपुण्यों नहीं होगा! गलत करने से सजा ( punishment) मिलेगा! उस सजा और सजा का समय उस खैदी का अपराध का अनुसार होता है! अपराधियों को स्वेच्छा नहीं होगा! अपराध/पाप किया मनुष्य का मिलने का विविध प्रकार का दंड ही इन गरीबी मनुष्य , रोगी मनुष्य , अंगों का कमी मनुष्य यानी अंधापन , लंगडापन इत्यादि , हीना जन्मों यानी कीड़ा , वृक्ष , पक्षी , और पशु इत्यादि! जेल में अपना सजा काटनेव